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GST: एक साल हुआ पूरा, जानिये किसे क्या मिला!

locationभोपालPublished: Jun 25, 2018 01:40:25 pm

GST: एक साल पूरा हुआ, जानिये किसे क्या मिला!

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GST: एक साल पूरा होने आया, जानिये किसे क्या मिला!

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी सहित पूरे भारतवर्ष में जीएसटी को अब एक वर्ष पूरा होने ही वाला है। एक जुलाई 2017 को जीएसटी लगाया गया था, इस कर से इससे सम्बंधित सभी पक्षों चाहे वह सरकार हो या व्यापार एवं उद्योग के अलावा जीएसटी पर कार्य कर रहे प्रोफेशनल्स सभी को जहां इससे कई उम्मीदें थी, वहीं इस कर को लेकर कई आशंकाएं भी बनी हुई थी। तो आइये सीए नीतिन झा व टैक्स के जानकार जीपी गुप्ता से जानते हैं कि एक वर्ष पूरा पूरा होने पर कैसा रहा यह जीएसटी का एक वर्ष का सफ़र…
इस संबंध में सीए नीतिन झा सहित कई जानकारों का मानना है कि जीएसटी सरकार की और से उठाया गया एक “साहसिक और प्रशंसनीय” कदम था क्योंकि वर्ष 2006 से चर्चित जीएसटी कभी ना कभी तो भारत में लगना ही था और जब भी लगता उस समय व्यवहारिक परेशानियां जो अभी आ रही है वह भी आनी ही थीं।
इसमें भी सबसे खास बात ये है कि इतने बड़े देश में एक नई कर प्रणाली में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों के आंकलन की कोई मशीनरी पहले से विकसित नहीं की जा सकती है इसलिए जैसे जैसे कठिनाइयां आती गई उन्हे सुधारने की बहुत ही सटीक प्रयास किए गए चाहे इसके लिए प्रक्रियाओं में बार–बार परिवर्तन करने पड़े हों।
यहां तक की पूर्व में खुद बीजेपी के नेता भी जीएसटी को समझ नहीं सके हैं और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे ने इस बात को स्वीकार किया है।
इस दौरान शिवराज सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे ने कहा था कि, ‘जीएसटी को तो मैं खुद आज तक नहीं समझ पाया। देश के बड़े-बड़े सीए को भी जीएसटी समझ नहीं आया। व्यापारी भी जीएसटी नहीं समझ पाए और परेशान हैं। इसको समझने के लिए कुछ समय लगेगा और धीरे-धीरे जीएसटी सबकी समझ में आ जाएगा।’
MP में GST ने बिगाड़ा सरकार का खेल…
एक वर्ष में जीएसटी(GST) के कारण MP के सरकारी खजाने की माली खराब होने की बात सामने आई। खराब आर्थिक सेहत पर सरकार को लगातार कर्ज की ओर रूख करना पड़ा। वहीं कुछ लोगों द्वारा कर्ज लेने के पहले प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर बताई गई। वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश सरकार ने दो हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार से लिया है(GST impact on Madhya Pradesh Government)।
वहीं माना जा रहा है कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा राजस्व मिलेगा। वर्ष 2017 की दीपावली के पहले तक सरकार ने नौ हजार करोड़ का कर्ज ले लिया।
राज्य सरकार को उम्मीद थी कि चालू वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक राजस्व मिलेगा। खजाना(GST Kya Hai GST impact on Madhya Pradesh Government) भरने की उम्मीद थी, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की उम्मीदों पर पानी फिर गया। उम्मीद से कम राजस्व मिला। टैक्स कलेक्शन की बात करें तो दो महीनों में सिर्फ 5000 करोड़ का ही कलेक्शन हुआ।
ऐसे समझें नूकसान…
पिछले दिनों वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने प्रदेश की सरकारों को उसका हिस्सा (स्टेट जीएसटी) वितरित किया। इस दौरान मप्र समेत कई प्रदेशों के राजस्व में गिरावट दिखी।
हालांकि केंद्र ने राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया। पिछले वर्ष की बात की जाए तो अगस्त में मप्र को 1780 करोड़ का राजस्व मिला था।

इसमें से डीजल, पेट्रोल और एविएशन फ्यूल हटा दें तो आंकड़ा तकरीबन 1200 करोड़ होता है, लेकिन जीएसटी(GST Kya Hai) के बाद यह घटकर महज 900 करोड़ रह गया है, जबकि केंद्र सरकार के अनुमान के हिसाब से अगस्त में प्रदेश को 1400 करोड़ रुपए मिलने थे।
साल-दर साल बढ़ा कर्ज :
वर्ष 2003 में दिग्विजय सरकार सत्ता से बाहर हुई थी, तब मप्र सरकार पर 3300 करोड़ का कर्ज था। वर्ष 2013 में फिर से भाजपा सरकार के गठन पर ये कर्ज बढ़कर 91000 करोड़ पहुंच गया। वहीं सूत्रों के अनुसार अब यह आकंड़ा एक लाख के पार हो चुका है।
वहीं टैक्स के जानकार जीपी गुप्ता का कहना है कि जीएसटी में राजस्व की प्राप्ति के अनुमान अभी प्रारम्भिक ही है क्योंकि एक तो पिछले कानून से जो कर का समायोजन डीलर्स को मिला उसने जरुर इसे कम किया होगा और दूसरा अभी सरकार को बहुत से रिफंड भी देने हैं।
उनके मुताबिक इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि जीएसटी की रिटर्न संबंधी प्रक्रियाएं अव्यवहारिक और जटिल है और इसका सबसे बड़ा उदहारण यह है कि मूल जीएसटी कानून में जो भी रिटर्न वर्णित है उनमें से अभी पहले माह जुलाई 2017 के ही मुख्य रिटर्न अर्थात GSTR-2 एवं GSTR-3 ही नहीं भरवाए जा सकें हैं।
माना जा रहा है कि रिटर्न की अधिक संख्या व जानकारी की जटिलता डीलर्स के प्रति अविश्वास के कारण ही है और सरकार को वातावरण और धारणा को सरलीकरण के माध्यम से समाप्त करना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर जीएसटी के तहत ई-वे बिल की मात्र 50हजार रुपये की रकम से भी व्यापार व उद्योग प्रारंभ से ही सहमत नहीं है और लगातार इसे बढाने की मांग हो रही है। इस मांग की स्थिति को इसी बात से समझा जा सकता है कि कुछ राज्यों ने एक ही शहर में यदि माल की सप्लाई होती है तो ई- वे बिल हटा दिया है, वहीं कुछ ने अपने राज्य के भीतर की सप्लाई पर से इसे हटा लिया है और कुछ ने अपने यहां इसकी सीमा बढ़ा कर 2 लाख रूपए तक कर दी है। कई राज्यों ने कुछ अधिसूचित वस्तुओं पर ही इसे लागू किया है लेकिन अभी भी कई राज्य बाकी है जिन्होंने इस बारे में कोई राहत नहीं दी है।
रिटर्न की लेट फीस भी जीएसटी का एक ऐसा प्रावधान है जिसमें लेट फीस की राशि भुगतान किये जाने वाले कर से भी कई मामलों में कई गुना हो जाती है। उद्योग एवं व्यापार की मांग अनुसार जीएसटी एक नया कानून है तो प्रारम्भ में लेट फीस जैसे कानून इतने सख्त नहीं होने चाहिए।
यदि व्यापार एवं उद्योग के जीएसटी में योगदान को सरकार स्वीकार करना चाहती है तो अभी तक एकत्र लेट फीस उनके खाते में लौटा देनी चाहिए और जो अभी तक भी अपने रिटर्न नहीं भर पाए है उन्हें भी एक और मौक़ा देना चाहिए.
कई जानकारों का मानना है कि कुल मिलाकर जीएसटी के एक वर्ष के सफ़र को हम कह सकते हैं कि यह वर्ष सफल नहीं तो संतोषजनक तो रहा ही है और हमारे जैसे बड़े देश में यह सरकार, करदाताओं और प्रोफेशनल्स के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।

कई कंफ्यूजन आए सामने…
– तमाम सिर से गुजरने वाले आर्थिक आंकड़ें, लंबे-चौड़े रिपोर्ट अभी भी आम आदमी को नहीं समझा सके हैं कि GST से क्या मिला? वहीं कारोबारी अभी GST का पैटर्न ही समझने में उलझे हुए हैं।
– हर कारोबारी अपने नीचे के छोटे कारोबारी से GST के पहले का पूरा हिसाब साफ करने को कह रहा है। ऐसे में मौजूदा कारोबार थोड़ा मंद पड़ा हुआ है।
12 लाख से अधिक कारोबारियों ने कराया पंजीकरण…
देशभर के 12 लाख से अधिक कारोबारियों ने GST सिस्टम के तहत नए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया। जानकारी के अनुसार इनमें से 10 लाख आवेदनों को रजिस्ट्रेशन के लिये मंजूर कर लिया गया है।
वहीं 2 लाख आवेदन अभी भी पेंडिंग हैं।
30 जुलाई तक का समय दिया गया था
जानिये फायदे…
सेंसेक्स बुलंदियों पर : इन्वेस्टर्स शुरुआत से GST को लेकर तनाव में थे। मार्केट पर इसके असर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन GST लागू होने के बाद के पहले कारोबारी हफ्ते से लेकर आखिर हफ्ते तक तेजी देखने को मिली।
– 25 जुलाई को पहली बार निफ्टी-50 ने 10 हजार का स्तर पार किया।
– 25 जुलाई को ही सेंसेक्स ने भी नया रिकॉर्ड बनाया, सेंसेक्स ने 32,374 के ऊपरी स्तर को छुआ जो कि रिकॉर्ड है।
– 12 जुलाई को पहली बार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी ने 9,800 अंकों का आंकड़ा पार किया।
– 13 जुलाई को पहली बार बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 32 हजार अंकों का आंकड़ा पार किया।
– इस दौरान बाजार की बढ़त में बैंकिंग, ऑटो सेक्टर और FMCG सेक्टर का खास योगदान रहा।
होटल उद्योग पर GST की मार…
GST के लागू होने के 1 महीने के बाद होटलवालों ने शिकायत की। उनका कहना था कि इसके कारण एमआईसीई खंड यानी सम्मेलन, प्रदर्शनी, बैठक को झटका लगा है। इससे पहले राजमार्गों पर शराब को प्रतिबंधित करने से भी उनका कारोबार प्रभावित हुआ था।
मोबाइल बाजार पर असर नहीं…
देश में साल 2017 में स्मार्टफोन की कुल मांग 23.4 करोड़ डिवाइस की रही, जोकि साल दर साल 11 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इस पर GST का कोई असर नहीं दिखा है। ग्लोबाल मार्केट रिसर्च जीएफके ने ये जानकारी दी जिसमें कहा गया था कि भारत में स्मार्टफोन की मांग तेज बनी हुई है।
ऑटो, FMCG सेक्टर में कीमतों में कटौती…
जीएसटी लागू होने के साथ ही कई कंपनियों ने कीमतों में कटौती की घोषणा की।

फोर व्हीलर कंपनियों ने की कटौती…
वहीं कई फोर व्हीलर कंपनियों ने भी अपने कई मॉडलों के दामों में 2,300 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये से अधिक की कटौती की।
कुछ ने कमर्शियल व्हीकल कैटेगरी में 8.2% तक की कटौती की।
वहीं टू-व्हीलर्स की भी कई कंपनियों ने कीमतों में 350 रुपये से लेकर 8600 तक की कटौती की।
साबुन, शैंपू, हेयर ऑयल हुआ सस्ता
साबुन शैंपू, हेयर ऑयल के कई मैन्युफैक्चरर्स ने भी अपने प्रॉडक्ट्स की कीमतों में कटौती की।

केंद्र सरकार को नोटिस…
वहीं इसी दौरान सैनिटरी नैपकिंस से जीएसटी हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर जवाब मांगते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को 20 जुलाई को नोटिस भेजा। बता दें कि एक गैर सरकारी संगठन ने सैनिटरी नैपकिन से जीएसटी हटाने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
इसके बाद 21 जुलाई को सरकार ने कहा कि सैनिटरी नैपकिंस पर लगाए गए GST को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.
ये कहते हैं सर्वे…
मूडीज (+): भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट अगले 12 से 18 महीने के दौरान 6.5 से 7.5 % के दायरे में रहेगी और GSTआर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढाने में मदद करेगा।
मोर्गन स्टैनली (+): ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने 2017 के लिए भारत के बारे में अपना इंफ्लेशन (मुद्रस्फीति) अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया है जो पहले 3.6% है। इसके पीछे अहम कारण GST का लागू होना और मानसून का बेहतर रहने की उम्मीद होना है।
नोमूरा (-): जापानी फाइनेंशियल सर्विस फर्म नोमूरा के मुताबिक जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट लगभग 6.6 प्रतिशत रहना अनुमानित है। फर्म ने एक अध्ययन में कहा है कि ग्रोथ रेट में तेजी पर कुछ नकारात्मक असर जीएसटी को लेकर पड़ा है।
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