विधानसभा चुनाव किसानों पर ही केंद्रित रहा है। यहां कांग्रेस ने कर्ज माफी का दावं चला, जिसे लेकर भाजपा को परेशान होना पड़ा। अब लोकसभा चुनाव में किसानों को साधने के लिए अभी से ध्यान देना शुरू किया है। प्रदेश में 3.50 लाख मीट्रिक टन का खाद का कोटा था, लेकिन रबी फसल में खाद की दिक्कत न हो इसके लिए यह कोटा बढ़ाकर 4.15 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। बिसेन ने दिल्ली जाकर यह कोटा बढ़ाने की मांग की थी। इस बार बुआई का रकबा भी बढ़ गया है। अभी तक 5.21 लाख मीट्रिक टन खाद बांटी जा चुकी है। वहीं, धान पर बोनस को लेकर भी केंद्र से मांग की जानी है। चना, दाल और अन्य फसलों को लेकर भी केंद्रीय मंत्री से चर्चा होगी।
प्याज को लेकर आचार संहिता आड़े आई
पांच लाख हैक्टेयर में प्याज की फसल हुई है। स्थिति ये है कि प्याज की पचास पैसे से लेकर एक रुपए तक की कीमत ही मिल पा रही है। बहुत अच्छी गुणवत्ता वाला प्याज ही दो-तीन रुपए किलो बिक पा रहा है। इससे किसानों में आक्रोश है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में बैठक में स्थिति जानी थी, लेकिन आचार संहिता के कारण कुछ तय नहीं किया जा सका। पिछली बार बेसप्राइज आठ रुपए किलो था।
नई सरकार आते ही पहले चुनौती
प्रदेश में बनने वाली नई सरकार के सामने पहली चुनौती किसानों को साधने की रहेगी। एक ओर धान की बिक्री किसानों ने रोक रखी है। दूसरी ओर प्याज कौडिय़ों के दाम बिक रही है। धान में बोनस देने पर औसत 400 करोड़ का बोझ बढ़ेगा, जबकि प्याज में 800 करोड़ रुपए तक का औसत बजट खर्च होगा। इसलिए दोनों ही सूरत में सरकार को किसानों की इस प्रारंभिक दिक्कत को हल करना होगा।