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15 साल में प्याज का उत्पादन 10 गुना बढ़ा, लेकिन सरकार ने नहीं बनाया एक भी गोदाम

locationभोपालPublished: Dec 07, 2019 07:42:46 am

Submitted by:

Ashok gautam

– भंडारण के अभाव में प्रदेश में होता है प्याज का

15 साल में प्याज का उत्पादन 10 गुना बढ़ा, लेकिन सरकार ने नहीं बनाया एक भी गोदाम

15 साल में प्याज का उत्पादन 10 गुना बढ़ा, लेकिन सरकार ने नहीं बनाया एक भी गोदाम

भोपाल। प्रदेश में खपत से तीन गुना ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है, इसके बाद भी यहां प्रति किलो 100 रुपए से ज्यादा में प्याज बिक रही है। इसकी मुख्य वजह प्याज भंडारण के लिए गोदाम न होना है। 2003 में प्याज का उत्पादन3 लाख मीट्रिक टन था जो अब बढ़कर 36 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। इसके बावजूद इन 15 सालों में सरकार ने एक भी प्याज का गोदाम नहीं बनाया।

इतना ही नहीं सरकार ने निवेशकों को भी प्याज गोदाम बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया। भंडारण की व्यवस्था न होने से कई किसान प्याज को दूसरे राज्य में बेचते हैं वहीं प्याज बचने पर हर साल जून-जुलाई में सडऩे के डर से मुफ्त के भाव में बेचने तक के लिए मजबूर हो जाते हैं। अक्टूबर तक प्रदेश की प्याज खत्म होने के बाद दाम महंगे होते हैं, एेसे में प्रदेश के व्यापारी महाराष्ट्र से प्याज लाकर यहां पर ऊँचे दामों में बेचते हैं।

कहने को तो उद्यानिकी विभाग में प्याज भंडारण के लिए किसानों गोदाम योजना बनी हुई है। इसमें किसानों को गोदाम निर्माण की लागत राशि की 50 फीसदी राशि अनुदान में दी जाती है। गोदाम बनाने के लिए किसानों के पास दो एकड़ की जमीन होना जरूरी है।

एक किसान को कम से कम 25 टन और अधिकतम 5० टन प्याज की क्षमता के गोदाम बनाने के लिए अनुदान दिया जाता है, लेकिन योजना का प्रचार-प्रसार न होने से इसका असर शून्य ही रहा है। अब तक मात्र 4 हजार किसानों ने ही इस योजना में प्याज के गोदाम बनाए हैं। इनकी क्षमता मात्र साढ़े ३ लाख मीट्रिक टन प्याज भंडारण करने की है।

सरकार ने घटाई स्टॉक की क्षमता

केन्द्र सरकार ने हाल ही में 3 दिसंबर 2019 को व्यापारियों के लिए प्याज स्टॉक करने की क्षमता घटा दी है। पहले थोक व्यापारियों के लिए स्टाक की क्षमता 50 टन और रिटेलर के लिए 10 टन था, लेकिन सरकार ने जमा खोरी को देखते हुए थोक कारोबारियों के लिए 25 और रिटेलर के लिए 5 टन कर दिया है।

इसके साथ ही खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्याज जमाखोरों पर कार्रवाई करें और मंडियों में आने वाली प्याज पर नजर रखे। इसमें इस बात रिपोर्ट का आकलन करें कि कितनी प्याज रोजाना आ रही है और उसको शहर के कौन-कौन से व्यापारी खरीद रहे हैं। स्टाक से अधिक प्याज जमा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें।

डेढ़ माह में 8 करोबारियों कार्रवाई

खाद्य विभाग ने पिछले डेढ़ माह के अंदर भोपाल, जबलपुर, शाजापुर और उज्जैन जिले में आठ कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई कर प्याज जब्त की है। इन कारोबारियों ने तय स्टाक से ज्यादा मात्रा में प्याज गोदामों में जमा कर रखी थी। इन कारोबारियों के पास से करीब एक हजार क्विंटल प्याज जब्त की है, जिसकी कीमत 30 लाख 86 हजार रुपए से अधिक बताई जा रही है। इन कारोबारियों के खिलाफ खाद्य विभाग ने प्रकरण भी दर्ज किए हैं। भोपाल में सबसे ज्यादा तीन कंपनियों पर कार्रवाई की गई है। जबकि शाजापुर और जबलपुर जिले में सबसे ज्यादा 400 और 286 क्विंटल प्याज जब्त हुई है।
प्याज की कीमत नियंत्रण करने कोई उपाय नहीं

प्रदेश में हर दूसरे साल प्याज की कीमतें अक्टूबर-नवम्बर में एकदम से बढ़ जाती हैं। इसे नियंत्रण करने के लिए खाद्य विभाग के पास कोई छापामार कार्रवाई के अलावा कोई उपाय नहीं है। खाद्य विभाग के पाया तो यह भी आंकड़े नहीं हैं कि प्रदेश में प्याज की खपत हर महीने अथवा हर साल कितनी है।
सबसे ज्यादा प्याज की खपत किस जिले में ज्यादा है। इसी तरह से प्रदेश में बाहर से कितनी प्याज आ रही है मंडी में इसका भी आंकड़ा नहीं है। मंडी अधिकारियों का कहना है कि उनके पास मंडी में आने वाली प्याज के ही आंकड़े रहते हैं। चूंकि मंडी में प्याज आने पर व्यापारियों को टैक्स देना पड़ता है इसके चलते ज्यादातर प्याज मंडी के बाहर ही थोक व्यापारी दलालों से खरीद लेते हैं।

वर्जन —
हम गेहूं, चावल, धान और मोटे अनाज के भंडारण के लिए गोदाम बनाते हैं। प्याज के लिए उद्यानिकी विभाग गोदाम बनाता है। प्याज के गोदामों को वैज्ञानिक पद्धति से बनाया जाता है।
– अशोक कुमार वर्मा, एमडी वेयर हाउसिंग कारपोरेशन मप्र

विभाग किसानों को प्याज का गोदाम बनाने के लिए 50 फीसदी तक अनुदान देता है। बड़ी मात्रा में प्याज भंडारण का काम किसान नहीं, व्यापारी करते हैं। विभाग में पीपीपी मोड पर गोदाम बनाने की कोई योजना नहीं है।
– काली दुरई, कमिश्नर उद्यानिकी संचालनालय मप्र
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