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ठगी गई रकम के साथ कोर्ट फीस व चार साल के ब्याज सहित बैंक और मोबाइल कंपनी

locationभोपालPublished: Oct 10, 2018 01:20:02 am

Submitted by:

manish kushwah

ऑनलाइन फ्रॉड रोकने में नाकामी पर सख्ती: साइबर कोर्ट ने लगाया प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा जुर्मानाभोपाल के पुराने शहर के फर्नीचर व्यापारी चौहान के बैंक खाते से ट्रांसफर हुई थी रकम

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भोपाल. आम उपभोक्ताओं की पूंजी की सुरक्षा करने में विफल रहने वाले बैंकों और ठगी में माध्यम बनने वाली मोबाइल कम्पनियों पर साइबर कोर्ट (कोर्ट ऑफ एग्जीक्यूटिंग ऑफिसर) लगातार शिंकजा कस रहा है। साइबर कोर्ट ने 2013 में हुई 49 लाख की ऑनलाइन ठगी के मामले में सोमवार को फैसला देते हुए बैंक और मोबाइल कम्पनी पर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दोषी कंपनियों को ठगी गई 33 लाख 77 की वास्तविक राशि के साथ कोर्ट फीस और चार साल का ब्याज सहित कुल 51 लाख रुपए उपभोक्ता को चुकाने के निर्देश दिए।
पुराने शहर के फर्नीचर व्यवसायी आरएस चौहान के बैंक ऑफ बड़ौदा के अकाउंट से चार अप्रैल 2013 में 49 लाख रुपए अवैध तरीके से आरटीजीएस करके निकाल लिए गए थे। चौहान ने उसी दिन साइबर सेल में शिकायत की, सेल ने त्वरित कार्रवाई कर ठगों के खातों में बचे रह गए १६ लाख रुपए वापस ट्रांसफर करा दिए। लेकिन तब तक 33 लाख77 हजार रुपए निकाले जा चुके थे। जुलाई २०१३ में उद्योगपति की ओर से साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप ने साइबर कोर्ट में याचिका लगाई। पुलिस जांच में व्यवसायी द्वारा खातों की सुरक्षा में लापरवाही या वारदात में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला।
२० मिनट में २० लाख गए, अलर्ट क्यों नहीं जनरेट हुआ
कोर्ट ने पाया कि चौहान के खातों से मून स्टार के फर्जी खाते में 20 मिनट में 20 लाख और प्रमोद यादव के खाते में 30 लाख रु. ट्रांसफर हुए। अधिक राशि के ट्रांजेक्शन पर भी बैंक ने मॉनीटरिंग नहीं की। बैंक के इन्फॉर्मेेशन सिस्टम में एक्सेस कर आवेदक की संवदेनशील जानकारी प्राप्त की।
डुप्लीकेट सिम जारी कराई, नहीं किया प्रक्रिया का पालन
आवेदकों ने यह भी बताया कि तीन अप्रैल की शाम उनका एयरटेल नम्बर बंद हो गया था, चार अप्रैल को जानकारी मिली कि डुप्लीकेट सिम इश्यू करा ली गई है। डुप्लीकेट सिम पर ओटीपी प्राप्त कर रुपए ट्रांसफर किए गए। कम्पनी ने वेरीफिकेशन गाइड लाइन का पालन किए बिना डुप्लीकेट सिम दी।
ऑनलाइन ठगी के मामलों में साइबर कोर्ट बैंकों और माध्यम बनने वाली मोबाइल कम्पनियों की जिम्मेदारी तय कर रही है, जिससे उपभोक्ता का सिस्टम पर भरोसा बने रहे। यह अपने तरह का असाधारण फैसला है, जो नजीर बनेगा।
यशदीप चतुर्वेदी, साइबर लॉ एक्सपर्ट
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