साइबर लॉ एक्सपर्ट और मामले में पैरवी करने वाले यशदीप चतुर्वेदी का कहना है कि इंटरनेट बंैकिंग और एटीएम संचालन के दौरान यदि उपयोगकर्ता अपने खातों और पासवर्ड की जानकारी शेयर नहीं करता है और ठगी हो जाती है तो बैंक जिम्मेदार होता है। एेसे मामले वल्लभ भवन के आइटी डिपार्टमेंट में संचालित कोर्ट में दायर किए जा सकते है।
सुरक्षा के इंतजाम न करने का पाया दोषी
ए क साल चली सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि बैंक ऑफ इंडिया के सॉफ्टवेयर में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। विदेशों के आइपी एडे्रस से खातों में सेंध लगने पर भी अलर्ट मैसेज जनरेट नहीं हुआ। जज प्रमोद अग्रवाल ने पाया कि टेलीकॉम कम्पनी आइडिया ने भी फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस से डुप्लीकेट सिम जारी करते समय पर्याप्त सावधानी नहीं बरती, दस्तावेज मिलान और हस्ताक्षर तक नहीं देखे। खातों में कितनी राशि है और उनसे कौन से मोबाइल नम्बर जुड़े हैं यह जानकारी भी लीक हुई, साथ ही इतने बड़े ट्रांजेक्शन की जानकारी खाताधारक को समय पर नहीं दी गई।