राज्य कार्यक्रम अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजीजेज डॉ. हिमांशु जायसवार ने बताया कि एमडीए कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को अपनाने के महत्व को ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि उपरोक्त फाइलेरिया प्रभावित जिलों में सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही करना सुनिश्चित करें। इस कार्यक्रम में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी। कोरोना की चुनौती के दौरान सावधानियां रखते हुए दवाईयां खिलाने के लिए कटोरी विधि का प्रयोग किया जायेगा। कार्यक्रम में 3000 टीम लगाई गई है। 10 टीम पर 1 सुपरवाइजर है। टीम के पास क्षेत्रों के माइक्रो प्लान उपलब्ध रहेंगे। 1 टीम केवल 25 से 30 घरों में ही प्रतिदिन भ्रमण करेंगी। दवा खिलाने के दौरान किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. देवेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है।