पार्टी के अजीब तर्क-
मंडल और जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाओं को न बैठाने के पीछे भाजपा प्रदेश संगठन के नेता अजीब तर्क दे रहे हैं। प्रदेश चुनाव सेल का तर्क है कि अध्यक्ष के चुनाव रायशुमारी पर होते हैं। रायशुमारी देने वालों के नाम की ही वोटर लिस्ट बनाई जाती है।
अब रायशुमारी देने वालों ने एक भी महिला का नाम नहीं सुझाया, इसलिए वे चुनकर नहीं आ सकीं। जबकि सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कई जिलों में मंडल और जिला अध्यक्ष के लिए सक्रिय महिला नेत्रियों नाम सामने आए थे। लेकिन संगठन के कुछ नेताओं का मानना था कि मंडल और जिला अध्यक्ष के पद पर रहने वाले को रात-दिन काम करना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को इस पद पर नहीं बैठाया जा सकता है।
महिला मोर्चा अध्यक्ष बोलीं- बहुत निराश और दुखी हूं, संगठन के रवैये से
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष लता एलकर ने संगठन के इस निर्णय पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। परिणाम देखकर बहुत दुख और निराश हाथ लगी है। मैंने प्रदेश संगठन के नेताओं से कहा था कि मंडल और जिला अध्यक्ष के लिए महिलाओं को भी मौका मिलना चाहिए।
मैंने सक्रिय और योग्य महिलाओं की सूची भी प्रदेश संगठन को दी थी। लेकिन पार्टी ने यह विचार किया कि महिलाएं योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्णायक मंडल में सभी पुरुष होत हैं, इसलिए वे महिलाओं से भेदभाव करते हैं।
भाजपा संगठन ने महिलाओं को इस योग्य ही नहीं समझा यह अत्यंत दुखद है। लता वानखेड़े ने कहा पार्टी आज भी 18 शताब्दी की सोच लेकर चल रही है कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकती हैं। पुरूषों के चुनाव में हम रात-रात में घूम कर प्रचार करते हैं तब यह बात नहीं आती है। पुरुष सत्तात्मक समाज है, इसका खामियाजा मिला है। यह बहुत गलत निर्णय है।
पार्टी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण तय है। जिला और मंडल में अध्यक्ष पद छोड़कर दूसरे पदों पर 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए किया हुआ है। चूंकि मंडल और जिला अध्यक्ष के नाम रायशुमारी पर होते हैं। इसलिए अगर रायशुमारी किसी महिला का नाम नहीं आया तो उसमें क्या किया जा सकता है।
हेमंत खंडेलवाल, प्रदेश चुनाव अधिकारी भाजपा