भोपाल

हादसे से निजात दिलाने वाला फायर स्टेशन ही खतरनाक हालत में

-पानी टपकती छत, जर्जर छज्जे और गिली दीवारों के अंदर ही चल रहा फायर स्टेशन व आपदा नियंत्रण का केंद्र।

भोपालSep 20, 2019 / 10:19 am

चन्द्र प्रकाश भारती

हादसे से निजात दिलाने वाला फायर स्टेशन ही खतरनाक हालत में

भोपाल। इस बार की बारिश ने विकसित सड़कों से लेकर किए गए विकास कार्यो तक पर पलीता लगा दिया है। आए दिन पेड़ गिरने, मकान/भवनों की दीवारे गिरने की सूचना आए दिन आ रही है। जिसे कंट्रोल करने के लिए नगर निगम के फायर स्टेशन ने जोन कार्यालय में आपदा नियंत्रण कक्ष बनाए हुए है।
जिसमें सभी विभाग के व्यवस्था करने वाले कर्मचारी तैनात है,लेकिन बोगदापुल फायर ब्रिगेड का सब स्टेशन इतने जर्जर भवन में चल रहा है कि कभी भी इसमें हादसा हो सकता है।

इसमें फायर ब्रिगेड के दफ्तर के साथ ही आपदा नियंत्रण के लिए रात की इमरजेंसी ड्यूटी पर भी कर्मचारी बैठ रहते है। इसके ऊपर ६-७ कर्मचारियों के परिवार भी रहते है, जबकि छत जर्जर हो चुकी है। दीवारे पानी के सीपेज से तरबतर रहती है। छज्जे टूट रहे है। इसी दशा में सुरक्षा कर्मी और उनके परिवार इस भवन में रह रहे हैं। बताया गया कि पहले शहर में दो ही फायर स्टेशन थे, पहला फतेहगढ़ और दूसरा बोगदा पुल का यह सब स्टेशन।
-मेट्रो की सीध में आने पर बंद हुआ मेंटेनेंस
बताया गया कि जिस जमीन पर फायर स्टेशन बना हुआ है वह रेलवे की है। इस भवन मेट्रो लाइन में भी आ रहा है। जिसके चलते इसे तोड़ा जाना है,लेकिन दो साल से चल रही तोडऩे की प्रक्रिया के चलते इस स्टेशन का मेंटेनेंस का काम भी नहीं हो रहा है। जिस तरह बारिश का गहर बरपा है, कभी भी इसका कोई हिस्सा गिर सकता है। इसमें रहने वाले सरकारी कर्मचारी होने के नाते खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे है, जबकि परिजन परेशान हैं।

इनका कहना
बोगदापुल के फायर स्टेशन का भवन काफी जर्जर हो चुका है। यह रेलवे की जमीन पर आता है। यहां से मेट्रो ट्रेन भी चलना है। उसके प्लान में भी यह हिस्सा आ रहा है। जब उसका कार्य यहां से शुरू होगा तो इसे तोड़ दिया जाएगा। इसी कारण अभी इसमें कोई कार्य नहीं हो पा रहे हैं।
-रामेश्वर नील, फायर ऑफिसर, नगर निगम
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