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एक ही दिन में करते समस्या समाधान

locationभोपालPublished: Jan 21, 2019 10:36:07 am

इंटरव्यू–डॉ. क्षत्रवीर सिंह राठौरअसिस्टेंट डायरेक्टर, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, मध्यप्रदेश
 

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एक ही दिन में करते समस्या समाधान

भोपाल. संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की आत्मा ही नहीं, उनकी संजीवनी भी है। विश्व का अधिक से अधिक दर्शन और ज्ञान संस्कृत से प्राप्त हुआ है। वैज्ञानिक चमत्कारों के मूल में कहीं न कहीं संस्कृत का समृद्ध दर्शन निहित है। इसे वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में तैयार कर अधिक से अधिक ज्ञानोपयोगी और जनोपयोगी बनाए जाने की जरूरत है। केन्द्र और राज्य सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर प्रयास कर रही है।

सवाल: संस्कृत विद्यार्थियों के लिए सरकारी या गैर-सरकारी नौकरी में स्कोप कम है, ऐसे में वे क्या कर सकते हैं?
जवाब: संस्कृत विद्यार्थियों के लिए धार्मिक विभागों और धार्मिक संगठनों, अनुष्ठानों आदि में अच्छा स्कोप है। संस्कृत संस्थान के तहत परीक्षाएं व मान्यताएं देने के अलावा योग प्रशिक्षण केन्द्र व ज्योतिष डिप्लोमा कोर्स भी चलाया जा रहा है। नौकरी न मिलने की दशा में विद्यार्थी स्वरोजगार कर सकता है।
सवाल: अंगे्रजी के जमाने में संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता क्या है?
जवाब: संस्कृत भाषा भारत की ही आत्मा नहीं, बल्कि विश्व भाषाओं की संजीवनी है। संस्कृत के बारे में जानने की ललक विदेशों में भी खूब है। संस्कृत से विज्ञान की महत्वपूर्ण आविष्कारों के रास्ते खुले हैं।
सवाल: संस्थान में कितने रेगुलर और प्राइवेट विद्यार्थी इस सत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं?
जवाब: वर्तमान में संस्थान के 200 विद्यालयों में लगभग छह हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। परीक्षाओं की शुचिता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए वर्ष 2012 के बाद स्वाध्यायी (प्राइवेट) परीक्षाएं बंद कर दी गई हैं।
सवाल: विद्यार्थी समस्याओं के समाधान के लिए परेशान होते रहते हैं, त्वरित निराकरण के उपाय क्या हैं?
जवाब: ऐसा नहीं है। यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसमें आवेदनकर्ता के डुप्लीकेट अंकसूची, अंकसूची संशोधन, माइग्रेशन सर्टिफिकेट आदि प्रकरण उसी दिन निस्तारित कर दिए जाते हैं। संस्कृत संस्थान विद्यार्थियों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करता है।
सवाल: संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए बाहर कितना एक्सपोजर संभव है?
जवाब: संस्थान के विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बाहर भेजा जाता है। उन्हें वर्तमान चुनौतियों के हिसाब से तैयार किया जाता है, जिससे वे प्रतियोगिताओं में सफल हो सकें। वर्ष 2016-17 में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के अंतर्गत 20 शिक्षकों का अनुदान दिया।
सवाल: इस संस्थान से अभी तक कितने विद्यार्थी पास आउट हुए हैं और कितनों को जॉब मिला?
जवाब: वर्ष 2008 के बाद संस्कृत संस्थान से दो लाख से अधिक विद्यार्थी पास हो चुके हैं। इनमें केन्द्र व राज्य सरकारों की विभिन्न सेवाओं में सेवारत हैं। कई विद्यार्थी विदेश भी जा चुके हैं।
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