उनका नारा है हम सबकी भागीदारी, सुरक्षित बचपन युवा और नारी है। उनका कहना है कि भोपाल से एक बच्चा औसतन रोज ही गायब हो रहा है। चौक-चौराहों पर बच्चे भीख मांगते दिखते हैं। बच्चे नशे की गिरफ्त में भी हैं। इसके सिवा चाय-नाश्ता की दुकानों, होटल-रेस्टोरेंट, दुकानों पर भी बच्चे काम करते हैं। उनका कहना है कि बच्चों व महिलाओं को बचाने के लिए कई संगठन एकसाथ आए हैं। फिलहाल बच्चों के लिए शहर को सुरक्षित करने के लिए प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। कोई बच्चा मुसीबत में दिखे या कहीं काम कर रहा हो या किसी बच्चे के साथ अनहोनी की आशंका हो तो टॉल फ्री नम्बर 18002332244 के अलावा 1098, 1091, 1090, 100, 181 नंबरों पर भी सूचना दी जा सकती है।
समाजकार्य में मास्टर डिग्री पास कर चुके गौरव को यूनिसेफ से फंडिंग और तकनीकी सपोर्ट मिल रहा है। वे गली-मोहल्लों और शिक्षण संस्थानों में नुक्कड़ नाटक, डिबेट, एलईडी प्रेजेंटेशन आदि के माध्यम से जागरुकता फैला रहे हैं। वे कार्यक्रमों में चाइल्ड लाइन, पुलिस व हेल्पलाइन के बारे में जानकारी देते हैं। स्पेशल वैन बनाई गई है, जिसे जगह-जगह ले जाकर बालश्रम, बाल यौनापराध आदि के बारे में बताया जाता है। एक सांप-सीढ़ी भी बच्चों को खिलाते हैं, जिसमें यह दिखाया जाता है कि अच्छे काम करने पर ऊपर जाने की सीढ़ी मिलती है और बुरे काम या बुरी लत पालने पर सांप काट लेता है और पतन की गर्त में गिर जाते हैं। अभी तक 100 से अधिक नुक्कड़ नाटक कर चुके हैं। शहर के सभी 85 वार्ड में इस तरह की वैन जानकारी दे रही हैं।