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आसपास के 100 से अधिक गांव प्रभावित

locationभोपालPublished: Jan 17, 2020 09:29:01 pm

Submitted by:

Rohit verma

अब तक नहीं सुलझी ग्रामीण क्षेत्र में कैचमेंट की समस्या, किसानों में भारी आक्रोश

आसपास के 100 से अधिक गांव प्रभावित

आसपास के 100 से अधिक गांव प्रभावित

भोपाल. भोपाल के बड़े तालाब को संरक्षित रखने के लिए तालाब के फुल टैंक लेवल से 50 मीटर दूर तक ग्रीन बेल्ट रखा गया है। इस हिस्से को नो कंस्ट्रक्शन जोन कहा जाता है। इस हिस्से में किसी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है। इसके बाद कैचमेंट एरिया शुरू होता है, जिससे होकर बारिश का पानी तालाब में पहुंचता है।

जिससे भोपाल, सीहोर, नरसिंहगढ़ एवं भदभदा रोड के आसपास करीब 100 से अधिक गांवों को बड़े तालाब के वन क्षेत्र और कैचमेंट के नाम पर आवासीय व व्यवसायिक अनुमतियों से प्रतिबंधित कर रखा है। इससे इन क्षेत्रों का विकास रुका पड़ा है। ग्रामीण समय-समय पर कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट हटाने की मांग करते रहे हैं।

 

राजनीतिक पार्टियां भी इसे हटाने का आश्वासन देती रही हैं। विधायक रामेश्वर शर्मा ने 2013 के मेनिफेस्टो में शामिल किया था और ग्रीनबेल्ट, कैचमेंट हटाने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव में सांसद आलोक संजर ने भी कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट खत्म करने का वादा किया था, जो कि आज तक अधूरा है। इससे इन क्षेत्रों का विकास रुका पड़ा है। ग्रामीण समय-समय पर कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट हटाने की मांग करते रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं वादा
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी 23 नवंबर 2013 को कोलार की सभा में कैचमेंट हटाने का वादा कर चुके हैं। सभा में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि मेरे रहते हुए कैचमेंट से डरने की जरूरत नहीं है इसका समाधान कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। अब 100 से अधिक गांवों को नई सरकार से आस है।

 

लोकसभा चुनाव में सांसद आलोक संजर ने भी कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट खत्म करने का वादा किया था, जो कि आज तक अधूरा है। इससे इन क्षेत्रों का विकास रुका पड़ा है। ग्रामीण समय-समय पर कैचमेंट और ग्रीनबेल्ट हटाने की मांग करते रहे हैं।

कैचमेंट की वजह से क्षेत्र का विकास रुका हुआ है, जिसे हटाने की मांग किसानों द्वारा की जाती रही है। विधायक, सांसद, और पूर्व सीएम ने किसानों से किया वादा पूरा नहीं किया, अब किसानों में गुस्सा है। सरकारों से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
मनोहर सिंह ठाकुर, अध्यक्ष, किसान मजदूर अधिकार संगठन

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