बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत के बाद तीसरी लहर की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग कंपनियों से 15 से 60 क्युबिक मीटर लिक्विड ऑक्सीजन भी खरीदेगा। अस्पताल प्रबंधन टैंक लगाने का काम निजी कंपनियां करेंगी। कंपनियां टैंक खड़ा करने उसकी सुरक्षा और अस्पतालों तक ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए पाइप पाइन बिछाने का भी काम करेंगी। इसके लिए सरकार को ये कंपनियां प्रति माह करीब-करीन सात हजार रुपए किराया देंगी। बदले में सरकार इन कंपनियों से ऑक्सीजन खरीदेगी। यहां से कंपनियां ऑक्सीजन की सप्लाई निजी अस्पतालों के लिए भी कर सकेंगी, लेकिन यह काम वो तभी कर पाएंगी जब शासकीय अस्पतालों के सप्लाई से ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा टैंकों में उपलब्ध रहेगी। सरकार इसके लिए खुली निविदा जारी करने जा रही है। गौरतलब है कि ज्यादा किराया और कम कीमत में अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों को ही प्राथमिकता मिलेगी।
33 जिला अस्पतालों में लगेंगे ऑक्सीजन टैंकर
लिक्विड ऑक्सीजन टैंकर प्रदेश में 33 जिला अस्पतालों में लगाए जाएंगे। इसमें उन्हीं जिला अस्पतालों को शामिल किया गया है, जिनमें 300 बिस्तरों की व्यवस्था है, अथवा इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा संक्रमित अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत वाले और गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा है, उन्हें भी इस योजना में शामिल किया जाएगा। सरकार इन कंपनियों से पांच से दस वर्षों तक के लिए ऑक्सीजन सप्लाई का करार कर सकती है। बताया जाता है कि भोपाल और इंदौर में 50-60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई होती है।