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गरीबी में बचपन बीता, भारत भवन में मजदूरी की, अब मिला पद्मश्री सम्मान

locationभोपालPublished: Jan 26, 2021 04:54:41 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

भूरी बाई कभी मजदूरी किया करती थी अब उन्हें पदम श्री से सम्मानित किया गया है।

गरीबी में बचपन बीता, भारत भवन में मजदूरी की, अब मिला पद्मश्री सम्मान

गरीबी में बचपन बीता, भारत भवन में मजदूरी की, अब मिला पद्मश्री सम्मान

भोपाल. गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने इस साल के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। मध्यप्रधेश के तीन नागरिकों को इश बार पद्म सम्मान दिए गए हैं। जिनमें से दो महिलाएं हैं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के अलावा, भूरी बाई और कपिल तिवारी को यह सम्मान मिला है। भूरी बाई कभी मजदूरी किया करती थी अब उन्हें पदम श्री से सम्मानित किया गया है।
मूलत: मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की रहने वाली भूरी बाई को कला के क्षेत्र में पदम श्री सम्मान दिया गया है। भूरी बाई 1982 में कला-संसंकृति के केन्द्र भारत भवन में मजदूरी करती थीं। यहीं कूची औऱ रंग का इस्तेमाल करना सीखा और अभी वे जनजातीय संग्रहालय से जुड़ी हैं। उन्हें शिखर सम्मान भी मिल चुका है।
गरीबी में बीता बचपन
भूरी बाई बरिया का जीवन गरीबी में बीता है। अवॉर्ड की घोषणा होने के बाद भूरी बाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी चित्रकारी का शौक ही मेरी पहचान बन जाएगी। उन्होंने कहा कि मेरे लिए बाहर जाना तो दूर की बात है, मुझे तो ठीक से हिंदी भी बोलनी नहीं आती है। मेरा बचपन गरीबी में बीता है, लेकिन अब खुशी है कि मैं अपने बच्चों के लिए कुछ पाई हूं।
भूरी बाई पहली आदिवासी महिला हैं, जिन्होंने गांव में घर की दीवारों पर पिथोरा पेंटिंग करने की हिम्मत की है। उन्होंने कहा कि यदि आपके पास हुनर है, तो एक न एक दिन आप अपना मुकाम हासिल कर ही लेते हैं।
सुमित्रा महाजन
सुमित्रा महाजन 1979 से लगातार आठ बार का इंदौर से सांसद बनीं। इंदौर में वह ‘सुमित्रा ताई’ के नाम से लोकप्रिय हैं। उनके राजनीतिक जीवन की खास बात यह है कि वह देश की पहली महिला हैं जो लोकसभा चुनावों में कभी हारीं नहीं।
कपिल तिवारी को मिला सम्मान
लोक कलाओं के गहरे जानकार, लोक संस्कृतिवेत्ता डॉ. कपिल तिवारी का, जिन्हें पद्श्री सम्मान देने की घोषणा सोमवार शाम को हुई। नवदुनिया से चर्चा में श्री तिवारी ने बताया कि इस बात की ज्यादा खुशी है कि यह सम्मान प्रदेश की जनजातीय चित्रकार भूरी बाई को भी मिला है। मैने किसी सम्मान के लिए कभी आवेदन नहीं किया। यह अच्छी बात है कि सरकार ने मेरे काम को सराहा है।
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