script4 देशों के कलाकारों ने 6 भाषाओं में दिखाई बच्चों की पीड़ा | pain of children appearing in 6 languages by artists from 4 countries | Patrika News

4 देशों के कलाकारों ने 6 भाषाओं में दिखाई बच्चों की पीड़ा

locationभोपालPublished: Jan 08, 2019 01:29:49 pm

Submitted by:

hitesh sharma

शहीद भवन में नाटक बियोन्ड द बाउंड्री का मंचन

news

4 देशों के कलाकारों ने 6 भाषाओं में दिखाई बच्चों की पीड़ा

भोपाल। शहीद भवन में चल रहे अंतरराष्ट्रीय नाट्य समारोह का सोमवार को समापन हो गया। अंतिम दिन नाटक बियोन्ड द बाउंड्री का मंचन हुआ। इंसबेल थिएटर इन एजुकेशन संस्था इस समारोह का मंचन कर रही है। नाटक में 4 देश बांग्लादेश, श्रीलंका, यूके और भारत के कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में 6 भाषा हिन्दी, इंग्लिश, जिब्रिश, नेपाली, सिंहली और असमी का प्रयोग किया गया। नाटक का निर्देशन लंदन की तमसिन कुरनो ने किया है। विभिन्न देशों के कलाकार पिछले 20 दिनों से संस्था के साथ मिलकर नाटक की तैयारी कर रहे थे।

वर्कशॉप के दौरान ये बात सामने आई कि सभी देशों में बच्चों की काफी समस्याएं एक सी है। उन्हीं समस्याओं पर फोकस कर तीन कहानियां तैयार की गई। पार्टिसिपेट्री फॉम में हुए नाटक में कई दृश्यों के बीच कलाकारों ने ऑडियंस में बैठे बच्चों से बातकर उनके मन की बात जानी। बच्चों ने स्टेज पर आकर किरदारों को अपने अंदाज में समझाने की कोशिश की। ये थिएटर इन एजुकेशन टेक्निक का एक पार्ट था। एक घंटे के इस नाटक में 23 कलाकारों ने अभिनय किया।

एकाकीपन बना देता है मोबाइल को दोस्त
पहली कहानी बेउंदू की है, जो स्कूल में पढ़ता है। वह अपने माता-पिता, भाई-बहन के साथ मिलकर घर के काम में हाथ बंटाना चाहता है। उनसे बात करना चाहता है, लेकिन घर के किसी सदस्य के पास समय नहीं है। सभी अपनी जिंदगी में बिजी है। एक दिन भाई उसे मोबाइल थमा देता है। उसे मोबाइल से इतना लगाव हो जाता है कि उसके सपने में भी मोबाइल गेम्स ही आते हैं। वह परिवार के सदस्यों से बात करना बंद कर देता है। नाटक के माध्यम से पेरेंट्स पर प्रहार किया जो बिजनेस और जॉब में इतने बिजी हैं कि बच्चों के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। मोबाइल की आभासी दुनिया बच्चों को हिंसक बना रही है। नाटक की कहानी को इंग्लिश में प्रस्तुति किया गया।
करियर का दबाव अंदर तक तोड़ देता है
दूसरी कहानी मियरू की है। वह ओवर प्रोटेक्टिंग फैमिली का होने के कारण परेशान है। उसके माता-पिता उसका खाना-पढऩा-खेलना सभी अपने हिसाब से तय करते हैं। उसे दोस्तों के साथ खेलने नहीं दिया जाता। वह सिंगर और एक्टर बनना चाहता है लेकिन पेरेन्ट्स और टीचर्स चाहते हैं कि वह डॉक्टर या पायलेट बने। पेरेन्ट्स के दबाव में वह डॉक्टर बन तो जाता है लेकिन अपनी लाइफ से खुश नहीं होता। नाटक के अंत में पात्रों को इमेजिनेशन के जरिए पेश किया। नाटक में जिब्रिश का यूज किया गया। पूरा नाटक दैहिक अभिनय शैली में पेश किया गया।
गलत संगत भी कर देती है जिंदगी बर्बाद
तीसरी कहानी ओमांति नाम की एक ऐसी लड़की की है जो साधारण कॉलेज में पढ़ती है। वह जॉब कर अपना खर्च चलाती है। वह गिटार बजाना पसंद करती है, लेकिन रूममैट उसे परेशान करता है। उसके रूम पर दोस्त आकर शराब पीते हैं। वह ऐसा नहीं करती। एक साथी शराब के साथ उसका फोटो क्लिक कर सोशल साइट पर डाल देता है। लोग उसे गलत समझने लगते हैं। नाटक के माध्यम से ये संदेश दिया गया कि कभी-कभी गलत संगत भी जिंदगी को खराब कर देती है। नाटक में सिंहली, हिन्दी और इंग्लिश संवादों के माध्यम से कहानी को पेश किया गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो