विधानसभा में सीएम शिवराज के इस बयान के बाद अब यह तय हो गया है कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव टाल सकते हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर ओबीसी आरक्षण को लेकर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के बीच ही सीएम शिवराज ने बयान दिया है। सीएम ने कहा कि इस मामले में विधि विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है।
ओबीसी मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी का दौर जारी है दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगा रही है सदन में जब कांग्रेस ने सरकार को घेरा तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है सरकार प्रयास करेंगे कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हो इस मामले में सरकार हर संभव प्रयास करेगी। वही मुख्यमंत्री ने कहा कि के कारण ओबीसी के हितों पर कुठाराघात हुआ है।
कांग्रेस का मिला साथ
सीएम शिवराज के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि सरकार की यदि मंशा साफ है तो सरकार और जाए हम भी उसके साथ हैं, कांग्रेस पूरा समर्थन करेगी। कमलनाथ ने कहा हमने आज सदन में भी कांग्रेस पार्टी की ओर से रखे स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से भी ही यही बात रखी और सरकार से फिर आग्रह किया कि इस निर्णय को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाये , हम सरकार के साथ खड़े है और बग़ैर ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में पंचायत चुनाव ना हो , यह सुनिश्चित किया जावे।
दरअसल मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले सुनाया था उसके बाद मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को छोड़ बाकी सभी सीटों पर चुनाव कराए जाने का फैसला किया। आयोग ने कहा कि पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा। चुनाव आयोग के फैसले के बाद प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर पंच तक 98 हजार 319 सीटों पर फिलहाल चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई।