इन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पत्नी को निजी कॉलेज में पदस्थ करवाया है। 2- दूसरे प्रमुख सचिव ऐसे हैं, जिनका अपना कॉकस है। पॉवर फुल प्रमुख सचिव के रिटायर होने पर उक्त मलाईदार कारपोरेशन का प्रभार अपने प्रिय अफसर को दिलाया। इनका शिक्षा से संबंधित समूहों से सांठ-गांठ है, इन्होंने एक प्रमुख सचिव को विभाग से हटवाकर कब्जा जमाया, जिससे वे नाराज होकर दिल्ली चले गए।
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3- तीसरे प्रमुख सचिव ऐसे हैं, सरकार किसी की भी हो, लेकिन इनका पॉवर कम नहीं होता। ये अफसर और इनकी पत्नी दावा करते हैं कि मौजूदा मुखिया की ताजपोशी इन्होंने ने ही करवाई है। इन्होंने अपने चहेते उधोगपतियों को सरकारी जमीन दिलवाई। इनकी निजी प्रगति मॉरिशश, दुबई और साउथ अफ्रीका तक है। वहां की एक एयरलाइंस में भी इनकी भागीदारी है, भाई के नाम से संचालन करते हैं। पीएमओ में इनके खिलाफ जांच भी लंबित है।
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3- तीसरे प्रमुख सचिव ऐसे हैं, सरकार किसी की भी हो, लेकिन इनका पॉवर कम नहीं होता। ये अफसर और इनकी पत्नी दावा करते हैं कि मौजूदा मुखिया की ताजपोशी इन्होंने ने ही करवाई है। इन्होंने अपने चहेते उधोगपतियों को सरकारी जमीन दिलवाई। इनकी निजी प्रगति मॉरिशश, दुबई और साउथ अफ्रीका तक है। वहां की एक एयरलाइंस में भी इनकी भागीदारी है, भाई के नाम से संचालन करते हैं। पीएमओ में इनके खिलाफ जांच भी लंबित है।
इंदौर में कलेक्टर रहते हुए भी यह काफी चर्चा में रहे थे। ई-टेंडर गड़बड़ी में भी इनकी भूमिका संदिग्ध है। 4- चौथे प्रमुख सचिव ने अपनी पत्नी के नाम पर अवैध संपत्ति बनाई है। चंडीगढ़ की एक फर्म से पत्नी के नाम बड़ी राशि चैक से आने पर जांच की फाईल भी खुली थी। उपलोकायुक्त कार्यालय में इनकी जांच शुरू भी हुई थी, लेकिन उच्च स्तर के दबाव के चलते बंद हो गई। इनकी कुल घोषित संपत्ति 30 लाख थी, जो कि आज 17 करोड़ हो गई। इन्होंने अपने फलों के बाग से करोड़ों की आय बताई है।
5 – अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी बिगडैल स्वभाव के हैं। हैदराबाद की एक कंपनी से इनकी नजदीकियां सार्वजनिक हैं, लेकिन इन्होंने अपना इतना भय बना रखा है कि विभाग के छोटे अधिकारी चाहकर भी इनके गलत कामों पर कुछ नहीं बोलते।
5 – अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी बिगडैल स्वभाव के हैं। हैदराबाद की एक कंपनी से इनकी नजदीकियां सार्वजनिक हैं, लेकिन इन्होंने अपना इतना भय बना रखा है कि विभाग के छोटे अधिकारी चाहकर भी इनके गलत कामों पर कुछ नहीं बोलते।
इन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम अरेरा कॉलोनी में दो बंगले, सीहोर, राजगढ़, इंदौर और भोपाल में सैकड़ों एकड़ जमीन ली है। इनके एक विभाग से हटते ही दूसरे प्रमुख सचिव ने आते ही इनकी प्रिय कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया तो इन्होंने उन्हें हटवा दिया और विभाग का प्रभार ले लिया।