स्टाफ और दवाइयों के स्टॉक दोनों की कमी
इस दिनों मौसम की वजह से डेंगू और मलेरिया जैसी कई बीमारियां फैल रही हैं। बावजूद इसके अस्पताल के मुख्य द्वार के पास ही बारिश का पानी कई दिनों से रूका हुआ है जो पूरी तरह से नीला पड़ चुका है जिसमें कई तरह के मच्छर पनप रहे है। इन सभी समस्यओं के बीच भी मरीजों को जैसे-तैसे अपना इलाज कराना पड़ता है।
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दवाइयों की समस्याओं को लेकर दवाई वितरण की मुख्य फार्मासिस्ट से काउंटर बंद होने और सभी मरीजों को एक समान दवाई देने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हमारे पास सिर्फ एक कर्मचारी और कुछ नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रहे बच्चे हैं जो पूरा दवाई काउंटर संभालते है। यहां तक कि दवाइयों की उपलब्धता की टेली करने के लिए कोई कम्प्यूटर ऑपरेटर भी नहीं है। मरीजों को समान दवाई देने के बारे में बात करते हुए कहा कि हमारे पास अभी पेरासिटामोल, बिटाडीन, आई ड्रॉप्स, सीरप और एंटीबॉयोटिक गोलियां ही है जो अधिकतर बीमारियों के इलाज के उपयोग में आती है और बाकी की दवाइयां हमने मंगाई है तो जल्द ही मरीजों के लिए उपलब्ध होगी।
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बोलते हैं-बाहर से दवाएं ले लेना
इन समस्याओं पर हमनें कान का इलाज कराने आए बलवन्त से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें लंबे समय तक यहां खड़ा होकर दवाई लेने का इंतजार करना पड़ता है। यहां सिर्फ दो काउंटर है और दवाई लेने वाले कई है कई बार तो इंतजार करने के बाद पूरी दवाइयां भी नहीं मिलती हैं, पूछने पर कहते हैं कि बाहर वाले मेडिकल से ले लेना हमारे पास नहीं है।