नाटक की कहानी एक पात्र टिल्लू के इर्द-गिर्द घूमती है। कपड़ा व्यापारी पोखरमल ने अपने बेटे टिल्लू की शादी अपने मित्र साईदास की बेटी जुगनी से बचपन में ही तय कर देता है। एक दिन साईदास, पोखरमल के घर आता है और शादी की बात चलाता है। पोखरमल कहता है कि जमाना बदल गया है और वह चाहता है कि दोनों एक बार मिलकर एक-दूसरे को समझ लें। दूसरी तरफ जुगनी नए मूल्यों और संस्कारों में जीकर पढ़-लिख गई थी और टिल्लू कपड़े की दुकान पर बैठकर बदलते समय के साथ नहीं चल सका था। वह मीटर, सेंटीमीटर के युग में पुराने गज-फुट-इंच में उलझकर रह गया था। वह एक व्यापारी है और हमेशा बिजनेस के बारे में ही सोचता रहता है।
80 रुपए में बेच देता है गिफ्ट
जब टिल्लू को लड़की देखने को कहते हैं। वह पार्क में उससे मुलाकात करता है। वह उसके कपड़े देख कहता है कि कपड़ा अच्छा है। यह कितने का है। लड़की जुगनी उसे पहली मुलाकात पर एक पेन गिफ्ट देती है। ऐसे में टिल्लू पूछने लगता है कि यह कितने का है, लड़की जब कीमत बताती है तो टिल्लू कहता है कि तुमको व्यापारी ने ठग लिया, व्यापारी ऐसे ही होते हैं। दूसरी मुलाकात में जब लड़की टिल्लू से मिलती है तो टिल्लू उसे 80 रुपए दे देता है। लड़की पूछती है क्यों? वह कहता है कि पेन को 80 रुपए में बेच दिया। 30 रुपए तुम्हारा लाभ तो लड़की डांटती है कि ऐसे कोई प्यार का तोहफा बेचता है। जुगनी, टिल्लू के भोलेपन को देखकर उसे पति के रूप में स्वीकार कर लेती है।