स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां रोजाना डेढ़ हजार से अधिक लोग वॉक पर आते हैं। लेकिन उन्हें सड़कों पर ही घूमना पड़ रहा है। जबकि असामाजिक तत्व रात में दीवारें कूदकर अंदर घुस जाते हैं। लोगों के हित में इस पार्क का खुलना जरूरी है। कम से कम सुबह तो खुलना ही चाहिए।
क्षेत्र की महिलाओं ने बताया कि पार्क खुलने से सुबह-शाम बुजुर्ग यहां टहलकर स्वास्थ्य लाभ ले लेते थे, वहीं बच्चों के लिए भी खेलने की जगह थी, लेकिन अब बच्चे व बुजुर्ग दोनों परेशान हो रहे हैं। बच्चों को खेलने की जगह न मिलने से वह दूसरे पार्कों में जाने की जिद करते हैं, लेकिन कोरोना पूरी तरह खत्म न होने से कहीं और जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही है। महिलाओं की मांग है कि पार्क के ताले जल्द खोले जाएं।