scriptभोपाल के भारत में विलय में पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका – मनोज श्रीवास्तव | Patel's key role in merger of Bhopal in India | Patrika News

भोपाल के भारत में विलय में पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका – मनोज श्रीवास्तव

locationभोपालPublished: Sep 03, 2018 01:33:58 pm

Submitted by:

hitesh sharma

स्वराज भवन में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन

meeting

भोपाल के भारत में विलय में पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका – मनोज श्रीवास्तव

भोपाल। स्वराज संस्थान संचालनालय, धर्मपाल शोधपीठ के तत्वावधान में रविवार से सरदार वल्लभभाई पटेल और भारतीय राजनीति विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन स्वराज भवन सभागार में किया जा रहा है। पहले दिन संगोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं से 20 से अधिक विद्वानों ने शिरकत की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि भोपाल सरदार वल्लभभाई पटेल का आभारी है। क्योंकि विलीनीकरण आंदोलन के समय उनके निर्णायक पत्र ने यहां की जनतांत्रिक इच्छाओं का सम्मान किया और भोपाल भारतीय संघ में शामिल हुआ। भोपाल के लोगों का आक्रोश राजनीतिक प्रणालियों के विरुद्ध था। इतिहासविद सरदार पटेल की तुलना जर्मनी के एकीकरण के नायक विस्मार्क से करते हैं। उनकी तुलना में सरदार पटेल ने केवल तीन साल में 565 राज्यों का एकीकरण करके दिखाया, जो विश्व में अभूतपूर्व है। सिविल सेवा का गठन और नियमितिकरण भी उनकी एक बड़ी प्रशासकीय उपलब्धि है।

 

जमींदारी प्रथा को कराया समाप्त

उत्तराखंड से आए डॉ. संजय कुमार ने उन्हें समकालीन नेताओं में महत्वपूर्ण निरूपित करते हुए बिहार में जमींदारी समाप्त करने के प्रसंग में उनकी न्यायप्रियता का उल्लेख किया। अलवर की डॉ. अनुराधा माथुर ने सरदार पटेल की राजनीतिक दृष्टि पर शोध प्रस्तुत किया, जिसमें बताया कि वे मजबूत केन्द्र के पक्ष में थे और अधिक राज्यों का निर्माण उचित नहीं मानते थे। सरदार पटेल जाति, धर्म, भाषा से परे देश के प्रति निष्ठा को सर्वाधिक महत्व देते थे।

इसी अवसर पर जयपुर से आईं डॉ. मुन्नी पारीक ने बोरसद सत्याग्रह का विश्लेषण करते हुए उसे जन-आंदोलन में परिणित करने में सरदार पटेल के नायकत्व का विवेचन प्रस्तुत किया। वहीं, रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता से आए डॉ. हितेन्द्र पटेल ने कहा इतिहासकार राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं। पंथ या समुदाय विशेष के प्रति झुकाव ने इतिहास लेखन को प्रभावित किया है। सरदार पटेल इतिहास के निर्माता थे, उनका मूल्यांकन 1946 से 1950 के बीच के संक्रमणकाल में उनकी निर्णायक भूमिका को लेकर किया जाना चाहिए। वे सबसे कठिन समय के महानायक हैं। देश हित में लिए गए उनके कई कठोर निर्णयों का श्रेय उन्हें नहीं मिला।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो