वह गुरुवार सुबह करीब 11 बजे बेटे और पत्नी के साथ इलाज के लिए एम्स पहुंचे थे। यहां करीब एक घंटे तक वे रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर डॉक्टर के रूम के चक्कर लगाते रहे, लेकिन इलाज नहीं मिला। इस बीच तबियत ज्यादा बिगड़ गई तो हरिनारायण एम्स के गेट पर के पास ही जमीन पर लेट गए। इस दौरान करीब दो घंटे तक पत्नी और बेटे ओपीडी में चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने मरीज को देखने की जहमत नहीं उठाई। नतीजा यह हुआ कि तीन घंटे तक तड़पने के बाद हरिनारायण की मौत हो गई। मामले में जब एम्स की अधीक्षक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
प्रायवेट वार्ड के लिए मांगे 20 हजार रुपए हरिनारायण के परिजन गोविंद ने बताया कि जब वे मरीज को लेकर एम्स अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि जनरल वार्ड में जगह नहीं है। कर्मचारियों ने कहा कि मरीज को प्रायवेट वार्ड में भर्ती करा दो। हमने जब सहमति दी तो उन्होंने कहा कि 10 दिन का जार्च जमा करना होगा जो करीब 20 हजार रुपए होता है। परिजनों ने जब कहा कि फिलहाल हमारे पास इतने रुपए नहीं हैं तो कर्मचारियों ने मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया।
शव को गेट पर रखकर किया प्रदर्शन
मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने शव को एम्स के गेट पर रख कर करीब तीन घंटे तक हंगामा किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे शव का पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम से इनकार करते हुए परिजनों ने प्रदर्शन बंद कर दिया।
मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने शव को एम्स के गेट पर रख कर करीब तीन घंटे तक हंगामा किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे शव का पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम से इनकार करते हुए परिजनों ने प्रदर्शन बंद कर दिया।