आइएसबीटी की बिगड़ती व्यवस्थाओं का असर सीधे यात्री सुविधाओं पर पड़ रहा है। सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को समस्याओं से जूझना पड़ता है। आइएसबीटी पर बसों को स्टैंड के बाहर मेन रोड पर खड़े कर भरा जाता है। एक दिन में करीब 45 से 50 बस बाहर से भरी जाती हैं, जिससे नगर निगम को हर महीने करीब 45 से 50 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। बसों को बस स्टैंड के गेट पर खड़े कर भरने से ट्रैफिक जाम की स्थित बनती है।
क्या-क्या परेशानियां
आइएसबीटी पर ट्रैवल एजेंसी संचालकों के भी कब्जे में हैं। ट्रैवल एजेंसी संचालकों ने आइएसबीटी के ओपन एरिया में अतिक्रमण कर लिया है। एक ट्रैवल एजेंसी संचालक ने तो ओपन एरिया में यात्री प्रतीक्षालय बना लिया है। एक साइड से आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। इसके अलावा आइएसबीटी में यात्रियों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। हवा के लिए बस प्लेटफार्म के शेड में पंखा नहीं लगे हैं। अनाउंसमेंट सिस्टम की आवाज बाहर तक नहीं आती है। नो-पार्किंग में वाहन पार्कआइएसबीटी में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए पार्र्किंग की अलग-अलग जगह निर्धारित की गई है। यात्री अपने वाहन पार्र्किंग में पार्क करते भी हैं, लेकिन टै्रवल एजेंसी संचालक और उनके कर्मचारी नो-पार्र्किंग में अपने दोपहिया और चारपहिया वाहन पार्क करते हैं। यदि कोई इन वाहनों को हटाता है तो उस पर दादागिरी की जाती है।
एक नजर में आइएसबीटी
भूमि क्षेत्रफल – 22.22 एकड़निर्माण की लागत
– 48.32 करोड़ निर्माण कार्य प्रारंभ
-5 अगस्त 2004 निर्माण कार्य पूर्ण
– 30 मार्च 2010 अनुरक्षण शुल्क
– 40 रुपए प्रति बस