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सांसद की बात मान गए व्यापारी, दुकानों से ऊतारे काले झंड़े

locationभोपालPublished: Sep 13, 2018 12:33:53 pm

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

नई शॉप पॉलिसी को लेकर बीते सात दिन से कारखाने के फाउंड्रीगेट पर चल रहा था भेल व्यापारी संघ का धरना, दो व्यापारी रोज बैठ रहे थे क्रमिक हड़ताल पर

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सांसद की बात मान गए व्यापारी, दुकानों से ऊतारे काले झंड़े

भोपाल। नई शॉप पॉलिसी के विरोध में बीते सात दिन से चल रही भेल व्यापारी महासंघ की क्रमिक हड़ताल बुधवार रात साढ़े 8 बजे समाप्त हो गई। व्यापारियों ने हड़ताल सांसद आलोक संजर और मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक के आश्वासन के बाद खत्म की। सांसद संजर और निगम अध्यक्ष भौमिक के भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री व्यापारियों से साथ अन्याय नहीं होने देंगे। जनप्रतिनिधियों की बात पर भरोसा कर व्यापारियों ने विरोध स्वरूप दुकानों पर लगाए काले झंड़े भी ऊतार लिए हैं।

सांसद संजर और निगम अध्यक्ष भौमिक ने व्यापारियों की क्रमिक हड़ताल खत्म कराने के लिए यहां तक भरोसा दिलाया है कि यदि जरूरत पड़ी तो शॉप पॉलिसी में बदलाव कराने के लिए सरकार की तरफ से पहल की जाएगी। सरकार व्यापारियों के साथ हर स्तर पर खड़ी दिखाई देगी। व्यापारियों को नई शॉप पॉलिसी से कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।

सीएम से मिले थे व्यापारी
भेल व्यापारी महासंघ के महामंत्री मदन बलानी ने बताया कि मंगलवार को व्यापारियों का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिला था। सीएम ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि वह विरोध प्रदर्शन नहीं करें। भेल दिल्ली कॉर्पोरेट द्वारा तैयार की गई शॉप पॉलिसी को लेकर भेल प्रबंधन से बात की जाएगी और व्यापारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। सीएम के निर्देश पर बुधवार को सांसद और निगम अध्यक्ष धरना स्थल भेल कारखाने के फाउंड्रीगेट पर पहुंचे। यहां पर व्यापारियों से बात की और क्रमिक भूख हड़ताल समाप्त कराई।

क्या है दिल्ली भेल कॉर्पोरेट की शॉप पॉलिसी
भेल ने साल 2006 में पांच साल के लिए शॉप पॉलिसी बनाई। इस पॉलिसी के हिसाब से एक रुपए 50 पैसे प्रति इक्वाइर फीट के हिसाब से भेल को किराया देना था। साल 2011 में पॉलिसी फिर से बननी थी, लेकिन नहीं बनाई। 2014 में जब फिर से पॉलिसी बनकार आई तो मेन मार्केट गांधी और विजय मार्केट का किराया बढ़ाकर 39.50 रुपए कर दिया। इसके साथ ही दुकानों को दो श्रेणी में बांट दिया।

पहला जरूरी सामग्री और दूसरा गैर जरूरी सामग्री की। दोनों का किराया अलग-अलग तय किया। उन्होंने बताया कि यह पॉलिसी केवल 31 दिसंबर 2018 तक प्रभावी है। इसके बाद एक जनवरी 2019 से 2023 तक के लिए जो पॉलिसी प्रस्तावित की गई है, उसके हिसाब से व्यापारियों से 71 रुपए 50 पैसे प्रति इक्वाइर फीट के हिसाब से किराया वसूला जाएगा। इस पॉलिसी में दुकान ट्रांसफर की प्रक्रिया को भी बदला गया है। ट्रांसफर की प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी है कि व्यापारी अपनी दुकान बचा ही नहीं पाएगा।

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