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मैं जिंदा हूं यह बताने के लिए दर-दर भटक रहा इंसान

locationभोपालPublished: Oct 31, 2021 01:40:30 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

दो वक्त की रोटी के लिए खुद को जिंदा बताने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।

मैं जिंदा हूं यह बताने के लिए दर-दर भटक रहा इंसान

मैं जिंदा हूं यह बताने के लिए दर-दर भटक रहा इंसान

नरसिंहपुर. एक इंसान के लिए इससे बड़ी बदनसीबी की बता ओर क्या होगी कि उसे दो वक्त की रोटी के लिए खुद को जिंदा बताने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले से प्रकाश में आया है। क्योंकि कागजों में इस व्यक्ति की मौत बता दी गई है। इस कारण शासन से मिलने वाली हर सुविधा पर विराम लग चुका है।

साहब मैं जिंदा हूं
जानकारी के अनुसार पटवारी द्वारा एक बुजुर्ग की कागजों में मौत दर्शा दी है। इसके कारण बुजुर्ग को पेंशन से लेकर अन्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसे में बुजुर्ग उन सभी शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हो गया है, जहां से उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ मिलता है। लेकिन हर जगह उन्हें यही जवाब मिलता है कि इस नाम के व्यक्ति की मौत हो चुकी है, ऐसे में एक जिंदा इंसान अपने आप को कागजों में कैसे जिंदा करे यह चुनौती बन गया है।
मेरी सम्मान निधि और वृद्धावस्था पेंशन दिलाई जाए

बुजुर्ग किसान फूलचंद्र कटारे खुद अधिकारियों के पास जाकर बता रहा है कि साहब मैं जिंदा हूं मेरी सम्मान निधि और वृद्धावस्था पेंशन दिलाई जाए। लेकिन अफसर उसकी कोई मदद नहीं कर रहे। क्योंकि पटवारी ने उसे सरकारी रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया है। जिसकी वजह से वह अब सभी तरह की सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो गये है। सरकारी सिस्टम की मनमानी का दुष्परिणाम भोग रहे बुजुर्ग उमरिया गांव के रहने वाले फूलचंद कटारे हैं। जिनका जन्म 1 जनवरी 1948 को हुआ था। खुद फूलचंद को सरकारी तौर पर अपने मृत घोषित किए जाने की जानकारी तब मिली जब वे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में अपनी किसान सम्मान निधि और वृद्धावस्था पेंशन की राशि निकालने पहुंचे। बैंक प्रबंधन ने उन्हें बताया कि सरकारी रिकार्ड के अनुसार 28 नवंबर 2021 को आपकी मृत्यु हो चुकी है और अब आप इस संसार में नहीं हैं। आपकी पेंशन बंद कर दी गई है और इसी वजह से किसान सम्मान निधि भी आपके खाते में जमा नहीं हो सकी है। वृद्धावस्था में सरकारी सिस्टम की मनमानी का शिकार हुए फूलचंद का वीडियो आया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि वे जीवित हैं और अभी इसी दुनिया में हैं। अपना हक पाने के लिए वे सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अभी तक उनकी कोई मदद नहीं की गई है। दूसरी ओर पटवारी ने उनका फोन भी उठाना बंद कर दिया है।
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