रिपोर्ट से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वे इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल हैं। घोटाला उनके इंदौर में महापौर रहते हुए हुआ। जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन ने सितम्बर 2012 को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी थी।
विजयवर्गीय के प्रभाव में सात साल से यह रिपोर्ट भाजपा शासन में दबी रही। कांग्रेस सरकार ने इसे रेकॉर्ड में खंगाला तो वह गायब मिली। अब उसकी फोटोकॉपी से ही राज खोले जाएंगे। चार वैल्यूम की एक हजार पन्नों की यह रिपोर्ट निकायवार है। इसमें लेखा संपरीक्षा निदेशालय की ऑडिट रिपोर्ट भी शामिल है।
विभिन्न जांच रिपोर्टों के अनुसार अपात्रों को सालों तक पेंशन बांटी गई। कई लोगों की मौत होने के बाद भी उनके नाम पर पेंशन डकारी गई। मृतक पेंशनधारियों के बैंक खातों से रुपए निकाले गए। पूरा खेल कैलाश विजयवर्गीय की अगुवाई में अफसरों की मिलीभगत से हुआ।
मंत्रालय में नहीं मिली मूल जांच रिपोर्ट
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने इस रिपोर्ट की खोजबीन शुरू की। यह मामला सामाजिक न्याय विभाग से जुड़ा था, इसलिए वहां इसकी तलाश कराई गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर सामान्य प्रशासन विभाग में इसे पता कराया गया, लेकिन मूल कॉपी नहीं मिली। वहां रिपोर्ट की दूसरी प्रति मिली।
इसके आधार पर फाइल चली। सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने पूरी रिपोर्ट मुख्य सचिव एसआर मोहंती को भेजते हुए इसे इसी सत्र में विधानसभा में पेश करने को कहा है।
जबाव देने से बचती रही भाजपा
पेंशन घोटाले की जांच रिपोर्ट आने के बाद भाजपा सरकार ने 2012 में परीक्षण के लिए मंत्री स्तर की समिति बनाई। इसकी पहली बैठक जनवरी 2013 में हुई। तब से भाजपा सरकार में यह रिपोर्ट दबी रही।विधानसभा में कई बार इस रिपोर्ट को लेकर चर्चा हुई, लेकिन भाजपा सरकार गोलमोल जबाव देकर इसे टालती रही।
ऐसे हुआ घोटाला
36,358 पेंशनधारियों का रेकॉर्ड ही नहीं था
कैलाश विजयवर्गीय 2000 में इंदौर नगर निगम के महापौर बने। उन्होंने नियमों को धता बताकर पेंशन में जमकर बंदरबांट की। ये पेंशन राष्ट्रीयकृत बैंक या डाकघर के जरिए बंटनी थी, पर उन्होंने इसे सहकारी संस्थाओं से बंटवाया। जांच में सामने आया कि निगम से 56,358 व्यक्तियों को पेंशन दी। इसमें से 36,358 पेंशनधारियों का रिकॉर्ड ही निगम के पास नहीं था। यह बड़ा घोटाला हुआ, जिससे कैलाश विजयवर्गीय विवादों में आए।
डॉ. गोविंद सिंह, सामान्य प्रशासन मंत्री, मध्यप्रदेश शासन : पेंशन घोटाले की रिपोर्ट पिछली सरकार ने दबा रखी थी। रिपोर्ट की तलाशी की गई तो वह गायब मिली। रिपोर्ट की अन्य कॉपी मंत्रालय में मौजूद थी। यह रिपोर्ट विधानसभा के इसी सत्र में पेश की जाएगी।