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तालाब किनारे जान हथेली पर लेकर लोग पकड़ते हैं अवैध मछली, दिन भर बैठे रहते हैं लोग, मत्स्य विभाग भी नहीं करता कार्रवाई

locationभोपालPublished: Oct 27, 2021 09:14:27 pm

– तालाबों में मछली पकडऩे को लेकर ठेकेदारों में भी होते हैं अक्सर विवाद, शहर में ६ तालाब तो पंचायतों २० तालाबों में होता है मछली पालन

तालाब किनारे जान हथेली पर लेकर लोग पकड़ते हैं अवैध मछली, दिन भर बैठे रहते हैं लोग, मत्स्य विभाग भी नहीं करता कार्रवाई

तालाबों में मछली पकडऩे को लेकर ठेकेदारों में भी होते हैं अक्सर विवाद, शहर में ६ तालाब तो पंचायतों २० तालाबों में होता है मछली पालन

भोपाल. छोटा, बड़ा तालाब के अलावा राजधानी में कई तालाब हैं जिनमें अवैध मछली पकड़ी जाती है। शहर से सटे पंचायतों में बने तालाबों में मछली पकडऩे को लेकर अक्सर ठेकेदारों के बीच विवाद की स्थिति देखने को मिलती है। इस वजह से पंचायत अब अपने तालाब वापस ले रही है। क्योंकि मत्स्य विभाग अपनी भूमिका का सही निर्वाहन नहीं कर पा रहा है। इस कारण आए दिन विवाद बढ़ते रहते हैं। दरअसल कोरोना के बाद से मछली व्यापार और डिमांड दोनों बढ़ी हुईं हैं। कमजोर मछली २०० रुपए किलो है, इससे ऊपर रेट और ज्यादा हैं। इस कारण अवैध मछली पालन से लेकर शिकार तक काफी बढ़ गया है । इधर विभाग के अधिकारी कुछ करने की स्थिति में नहीं दिखते। इस कारण कई अवैध मछली पकडऩे वाले तो कई प्रकार के केमिकल युक्त गोले पानी में डालकर मछली पकड़ रहे हैं। इससे न केवल पानी प्रदूषित हो रहा, बल्कि मछली भी इस खतरनाक मटेरियल को खाकर प्रदूषित हो रही है। एेसी मछली स्वास्थ्य के लिए कितनी लाभकारी होगी, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। जिले में शहरी क्षेत्र में ६ और पंचायतों में २० तालाबों में मछली पालन होता है। इसके अलावा अनगिनत लोगों ने घरों में टब लगाकर मछली पालन शुरू कर दिया है।

अवैध रूप से मछली पकडऩे का बड़ा उदाहरण
छोटे तालाब में दो वर्ष पूर्व मछली मारने या पकडऩे के लिए जहरीले गोले तक पानी में मिलाए जाते रहे हैं। इन गोलों की रिपोर्ट मई २०२० में लखनऊ लैब से मिली इसके बाद केस एनजीटी में गया। पीसीबी की तरफ से इन पर ३० लाख ६० हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जिसकी वसूली अभी तक नहीं हुई, विशेषज्ञों ने इस गतिविधि से छोटे तालाब को नुकसान होना भी बताया है। दरअसल मिट्टी के गोलों में लेड आर्सेनिक और मरक्यूरिक केमिकल की पुष्टि हुई थी। इसके बाद भी उसी संस्था को ठेका देने की तैयारी शुरू हो गई, लेकिन संभागायुक्त का विरोध होने से फिलहाल मामला अटका हुआ है।

सुबह से जब जाते हैं, अधिकारियों को दिखते नहीं

मछली पकडऩे के लिए काफी लोग खटलापुरा घाट में नाले की तरफ जमा हो जाते हैं। ये क्षेत्र एेसा है कि यहां से गुजरने वाले हर अधिकारी की निगाह इन पर पड़ती है। लेकिन कोई इन्हें रोकता या टोकता तक नहीं है। खटलापुरा घाट पर कुछ समय पूर्व हुए हादसे से सबक लेते हुए नगर निगम ने काफी इंजताम किए, लेकिन इन लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। उल्टा नाले को छिपाने के लिए हरे रंग का कपड़ा और लगा दिया है। इस कारण ये लोग दिखते भी नहीं हैं। अगर किसी दिन कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा।

मत्स्य विभाग ने लंबे समय से कार्रवाई नहीं की
इधर मत्स्य विभाग में अधिकारियों का आलम ये है कि उन्होंने लंबे समय से कार्रवाई ही नहीं की। यही नहीं वे तालाबों में मछली पालन के लिए लगाए गए स्टील केज का निरीक्षण करने भी नहीं जाते। भले ही ठेकेदार कितनी मनमानी करता रहे। एक एेसे ही मामले में फर्जी केज को लेकर बैंक से गलत तरीके से सब्सिडी लेने का मामला भी प्रकाश में आया था, लेकिन उसमें भी आगे बात नहीं बनी।

वर्जन

अवैध मछली पालन के मामले में मत्स्य विभाग को निर्देश देकर जानकारी और कार्रवाई कराई जाएगी।
कवींद्र कियावत, संभागायुक्त

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