उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। राजनीतिक दल और नेताओं का आचरण उदाहरण पेश करने वाला होना चाहिए, लेकिन यहां जनजीवन की सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। लोकप्रियता और वोट हासिल करने के लिए लोगों को घर से निकालकर सभाओं में बुलाया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक दलों का साझा एजेंडा सिर्फ चुनाव प्रचार से लोकप्रियता हासिल करना है।
पूर्व में ली गईं अनुमतियां निरस्त
उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने बुधवार को सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि कोई भी चुनावी सभा या रैली बिना अनुमति के ना हो। पहले ली गईं अनुमतियां निरस्त होंगी। अब सभा की अनुमति का आवेदन कलेक्टर के जरिए चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। आयोग तय करेगा कि अनुमति देनी चाहिए या नहीं।
आयोग के निर्देश 9 जिलों मुरैना, शिवपुरी, भिंड, दतिया, ग्वालियर, गुना, श्योपुर, अशोकनगर, विदिशा के लिए हैं। श्योपुर और विदिशा में चुनाव नहीं हैं। 12 जिलों में अनुमति जरूरी नहीं
विधानसभा उपचुनाव प्रदेश के 19 जिलों में हैं। आयोग के निर्देश जारी होने के बाद भी अनूपपुर, रायसेन, आगर मालवा, इंदौर, देवास, धार, मंदसौर, छतरपुर, बुरहानपुर, खंडवा, राजगढ़, सागर में फिलहाल अनुमति की आवश्यकता नहीं है।