भोपाल

पेटलावद मोहर्रम जुलूस विवाद : न्यायिक जांच आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

आरएसएस कार्यकर्ताओं को क्लीनचिट, पुलिस पर सवाल

भोपालApr 15, 2018 / 09:43 pm

harish divekar

भोपाल। झाबुआ के पेटलावद में डेढ़ साल पहले हुए बहुचर्चित मोहर्रम जुलूस विवाद में आरएसएस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को न्यायिक जांच आयोग ने क्लीनचिट दे दी है। इसमें आयोग ने पुलिस कार्रवाई को द्वेषपूर्ण और बदला लेने वाली माना। तत्कालीन डीएसपी राकेश व्यास और तत्कालीन थाना प्रभारी करणी सिंह शक्तावत को सीधे तौर पर इसका दोषी ठहराया है। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद संघ के नागपुर मुख्यालय ने टीम भेजी थी। उसकी सक्रियता के बाद रिटायर्ड जज आरके पांडे की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित हुआ। आयोग ने रिपोर्ट अक्टूबर 2017 में सौंप दी। 5 महीने से रिपोर्ट परीक्षण के लिए गृह विभाग में है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर इसे विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। चुनावी साल में यह सरकार के लिए राहत की खबर है।

यह था घटनाक्रम
पेटलावद में 12 अक्टूबर 2016 को मोहर्रम जुलूस रोके जाने पर साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई थी। इसमें पुलिस ने आरएसएस के नगर कार्यवाह संदीप भायल, पूर्व नगर कार्यवाह लूणचंद परमार, पूर्व महामंत्री मुकेश परमार, आकाश सोलंकी, नरेन्द्र पडिय़ार सहित अन्य पर मुकदमा दर्ज किया। बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया। आरएसएस मुख्यालय ने इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस और सरकार की भूमिका पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद पुलिस अधीक्षक संजय तिवारी को वहां से हटाया गया। साथ ही तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक राकेश व्यास और थाना प्रभारी करणी सिंह शक्तावत को निलंबित कर दिया गया।

ऐसे तैयार हुई आयोग की रिपोर्ट
पुलिस का दावा
1. साम्प्रदायिक तनाव के हालात थे, इसलिए आरएसएस कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज किया गया।

2. आकाश चौहान व उसके साथी गौरक्षक बनकर गौवंश ले जाने वाले वाहनों को रोककर मारपीट व वसूली करते हैं।

3. आरोपी लूणचंद परमार और मुकेश परमार ने चल समारोह रोका और दूसरे रास्ते से ले जाने के लिए हंगामा किया। इससे तनाव की स्थिति बनी।

4. थाने में आरएसएस के लोगों ने हंगामा किया। इससे पुलिस को उन पर हल्का लाठी चार्ज करना पड़ा।

आयोग का निष्कर्ष
हर वर्ष की तरह 12 अक्टूबर 2016 को भी मोहर्रम जुलूस निकाला गया। इसमें साम्प्रदायिक विवाद जैसी कोई स्थिति पैदा नहीं हुई।
पुलिस आरोपियों से द्वेष रखती है। मोहर्रम चल समारोह के दौरान पुलिस को उनसे बदला लेने का मौका मिला और झूठा केस दर्ज किया। पेटलावाद में साम्प्रदायिक तनाव का यह घटनाक्रम सुनियोजित रणनीति का हिस्सा नहीं था। इस दौरान सिर्वी समाज के मोहल्ले में अनेक लोग मौजूद थे। किसी भी पुलिस अधिकारी को द्वेषभावना से किसी भी व्यक्ति पर बल प्रयोग को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

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