आउटडोर में पर्ची बनाने वाले कर्मी के अनुसार महंगी लग्जरी गाड़ियों से उतरने वाले बीपीएल का कार्ड दिखाकर पर्ची बनवाते हैं और अगर हम उन्हें मना करते हैं या उनका आधार कार्ड मांगते हैं तो वो मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। रोजाना दिनभर में कम से कम 10 से 12 विदेशी नस्ल के कुत्ते-बिल्ली का इलाज करवाने ऐसे लोग आ जाते हैं।
दरअसल, अस्पताल प्रशासन भी ऐसे विदेशी नस्ल के कुत्ते और बिल्लियों का मुफ्त में इलाज करके परेशान है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने फैसला लिया है कि इस बार पशु कल्याण की साधारण सभा की बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। यानी विदेशी नस्ल के कुत्ते-बिल्लियों का इलाज बीपीएल कार्ड से बंद करने की पहल की जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि देशी नस्ल के कुत्ते और बिल्लियों का इलाज बीपीएल कार्ड से जारी रहेगा। सिर्फ विदेशी नस्ल के पालतू पशुओं का इलाज बीपीएल कार्ड से बंद करने का प्रस्ताव बैठक में रखा जाएगा।
40 हजार का कुत्ता, 1 लाख का बकरा भी गरीब
राज्य पशु चिकित्सालय के वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार लोग पर्सियन कैट से लेकर लेब्राडोर, सेंट बर्नार्ड जैसे डॉग और 1 लाख रुपए तक के बकरे का इलाज भी बीपीएल कार्ड से करवाने आते हैं। इनकी महीने भर की खुराक और रखरखाव में ही हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं।