उल्लेखनीय है कि कालापानी पंचायत के कजलीखेड़ा, गोंडीपुरा, महाबडिय़ा आदि गांवों में पेयजल आपूर्ति की सुविधा नहीं है। इन गांवों के अधिकांश लोग कोलार मेन वाटरलाइन के रिसाव से पानी भरकर गुजारा करते हैं। गांववालों का कहना है कि ट्यूबवेल से पानी सप्लाई के लिए पाइपलाइन डाली जा रही थी, लेकिन ठेकेदार के आदमी लगभग महीनेभर पहले काम छोड़ गए हैं। इससे घरों से निकलना दूभर हो गया है। आए दिन बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और मवेशी घरों के आगे खुदी पड़ी नालियों में गिरकर चोटिल होते हैं।
कजलीखेड़ा के संतोष कुमार के पिता रामप्रसाद उम्र 57 साल लगभग पन्द्रह दिन पहले घर के आगे खुदी पड़ी खाई में गिर पड़े थे। इससे उनके पैर में चोट लग गई थी। उन्होंने गांव के मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाएं तो ले लीं, लेकिन फायदा नहीं हुआ। अब उनका पैर पकने लगा है। गांव के कुछ लोगों के मवेशी भी नालियों में गिरने से परेशान हो रहे हैं। गोलू की भैंस गिर गई थी, जिसे ग्रामीणों ने मिलकर उठा लिया। इसी तरह तमाम ग्रामीण इस खुदाई से परेशान हैं।
ऐसे तो रोज पाइप काटे जाते
सरपंच का कहना है कि ठेकेदार पानी की लाइन को गहराई में नहीं डाल रहा था। एक अधिकारी ने आकर ठेकेदार का काम देखा तो नाराजगी जाहिर करते हुए काम बंद करवा दिया। उनका कहना था कि यदि पानी की लाइन ऊपर डाली जाएगी तो कोई भी इसे आसानी से काटकर पानी का दुरुपयोग कर सकता है। इसके साथ ही वाहन आदि के गुजरने से यह बार-बार क्षतिग्रस्त होती।
ठेकेदार टेंडर की शर्तों के अनुसार पाइप नहीं डाल रहा था। पाइपलाइन की प्रगति देखने आए अधिकारी ने काम गुणवत्तापूर्ण नहीं पाए जाने पर रुकवा दिया था। इंदौर के रास्ते में मेरा एक्सीडेंट हो गया था, जिससे चोटें आई हैं। ठीक होते ही काम फिर से शुरू करवाता हूं।
– रफीकउद्दीन, सरपंच, कालापानी