scriptभारत में रावण द हन ही न हीं रावण की पूजा भी होती है, मप्र में ही मौजूद हैं ऐसे चार स्थान | Places where ravana will not be set on fire on dussehra 2022 | Patrika News

भारत में रावण द हन ही न हीं रावण की पूजा भी होती है, मप्र में ही मौजूद हैं ऐसे चार स्थान

locationभोपालPublished: Oct 02, 2022 03:00:50 pm

– आज भी होती है इन 7 मंदिरों में रावण की पूजा, यहां रावण दहन पर मनाया जाता है शोक- रावण भगवान शिव का महान भक्त होने के साथ ही अत्यंत विद्वान भी था…

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भोपाल । Bhopal

साल 2022 में दशहरा का त्याैहार (विजयादशमी 2022) बुधवार, 5 अक्टूबर काे मनाया जाएगा। इस दिन देश में विभिन्न जगहाें पर रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला जलाया जाता है। इस त्योहार काे बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। भले ही रावण (Rawana ) को त्रेतायुग के प्रमुख राक्षस के रूप में जाना जाता है। लेकिन, इसके अलावा रावण महान शिवभक्त ( Shiv Bhakat ) होने से साथ ही सभी वेदों का ज्ञाता (अत्यंत विद्वान) भी था। लेकिन सीता का हरण उसके लिए जीवन की आखरी गलती साबित हुई, जिसके बाद भगवान श्रीराम (lord ShriRam) द्वारा युद्ध के दौरान उसका वध (in Ramayan) कर दिया गया।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि जहां एक ओर हिन्दुओं में रावण का वध बुराई पर अच्छाई जीत की जीत के रूप में माना जाता है। वहीं देश में कई जगहाें पर रावण काे पूजा भी जाता है। जिसके चलते रावण के देश में कुछ जगहाें पर मंदिर भी हैं। वहीं इन जगहाें पर दशहरे के दिन रावण काे जलाया भी नहीं जाता।

दशहरा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत ( victory of good over evil) के प्रतीक के रूप में दशहरे पर भारत में रावण के अलावा उनके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के भी विशाल पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन भारत में ही कई स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण को पूजित (Ravan Worship) मानते हुए उसके (idols of Ravana) मंदिर तक बनाए गए हैं। और दशहरे के दिन इन मंदिरों Temples)में लोगों की खास भीड़ भी उमड़ती है। इस दिन रावण के उपासक उसे एक विद्वान मानते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी देते हैं।

आज हम आपको रावण को समर्पित ऐसे 7 मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां उनके उपासक उनकी पूजा करते हैं:-

: रावणग्राम रावण मंदिर, विदिशा (मध्य प्रदेश) : Ravanagram Ravana Temple, Vidisha (MP)-
मध्यप्रदेश के विदिशा में एक ऐसा गांव है, जिसका नाम स्वयं रावण के नाम पर रावणग्राम रखा गया है, यह लंका के राजा रावण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। रावण की पत्नी मंदोदरी विदिशा से मानी जाती है। यहां सभी रावण नहीं बोलकर सम्मान के रूप में रावण बाबा ही बोलते हैं। दशहरे के दिन बाबा की प्रतिमा की नाभि में रुई में तेल लेकर लगाया जाता है। मान्यता है ऐसा करने से उनकी नाभि में लगे तीर के बाद दर्द कम होगा और वे गांव में खुशहाली देंगे।
विदिशा में कई रावण उपासक उनकी पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं। मंदिर में रावण की 10 फुट लंबी मूर्ति है। पूर्व में यह मंदिर किसी भी अन्य मंदिर की तरह ही था जहां लोग शादी के दिनों और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर जाते थे। लेकिन, कुछ साल पहले से यहां दशहरे के दौरान रावण पूजा ने भव्य रूप ले लिया है।

: लंका के राजा का मंदिर, मंदसौर (मध्य प्रदेश) : Temple of Ravana, Mandsaur (Madhya Pradesh)-
मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी लंका के राजा का एक मंदिर है। यहां खानपुर क्षेत्र में 35 फुट ऊंची 10 सिर वाली रावण की मूर्ति स्थापित है। दरअसल मंदसौर शहर में नामदेव वैष्णव समाज से संबंध रखने वाले लोग दशहरे पर रावण की पूजा करते हैं। इनका मानना है कि रावण की पत्नी मंदोदरी इसी शहर की थीं। ऐसे में रावण को उस क्षेत्र के लोग दामाद मानते हैं और रावण दहन नहीं करते हैं।

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माना जाता है कि मंदसौर का मंदिर वह स्थान है जहां रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था। मंदिर में विभिन्न महिला देवताओं की मूर्तियां हैं जिनकी नियमित रूप से पूजा की जाती है। मंदिर को अत्यंत पुराना माना जाता है क्योंकि हड़प्पा सभ्यता की लिपि में देवताओं के बगल में ग्रंथ पाए जाते हैं। वहीं कुछ लाेग यहां शाम को माफी मांगकर प्रतीकात्मक वध भी करते हैं।

: रावण मंदिर, बिसरख, (ग्रेटर नोएडा, यूपी) : Ravan Mandir, Bisrakh, (Greater Noida, UP)-
गौतमबुद्ध नगर में स्थित बिसरख को रावण का जन्मस्थान माना जाता है और यहां एक मंदिर लंका के राजा को समर्पित है। यह देश में राक्षस राजा के सबसे प्रसिद्ध और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
रावण को इस क्षेत्र में एक भगवान (Rawana As a God)के रूप में माना जाता है और यहां रावण के पुतले जलाकर दशहरा नहीं मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन बिसरख के कस्बे में मातम का समय होता है।

मंदिर को भगवान राम में विश्वास करने वाले लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा है, लेकिन रावण के भक्तों ने मंदिर की रक्षा के लिए उनसे लड़ाई लड़ी है। बताया जाता है कि कई दशक पहले इस गांव के लोगों ने रावण के पुतले का दहन किया तो गांव में कई मौतें हो गई। जिसके बाद ग्रामीणों ने मंत्रोच्चारण के साथ रावण (Ravan) की पूजा की तो कहीं जाकर गांव में शांति हुई।

: काकीनाडा रावण मंदिर, आंध्र प्रदेश : Ravana temple in kakinada (AP)-
रावण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक काकीनाडा रावण मंदिर आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के शहर में स्थित है। मंदिर समुद्र तट के करीब स्थित है और एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। आंध्र प्रदेश में काकीनाडा एकमात्र ऐसा स्थान है जहां रावण की पूजा की जाती है।

माना जाता है कि रावण ने भगवान शिव का मंदिर बनाने के लिए इस स्थान को चुना था।यहां एक विशाल शिवलिंग भित्ति है, जो भगवान शिव के लिए रावण की भक्ति का प्रमाण है। यहां पर मुख्य रूप से मछुआरा समुदाय रावण का पूजन करता है।

: हिमाचल प्रदेश में रावण का मंदिर : Ravana temple in Baijnath (HP)-
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा है। बैजनाथ में बिनवा पुल के पास रावण का मंदिर है। मंदिर में शिवलिंग व उसी के पास एक बड़े पैर का निशान है। रावण ने एक पैर पर खड़े होकर इसी स्थान पर तपस्या की थी। शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था। इस कुंड के समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। मान्यता है कि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया, तो उसकी मौत निश्चित है। रावण ने बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।


: दशानन मंदिर, कानपुर (उत्तर प्रदेश) : Dashanan Temple, Kanpur (Uttar Pradesh)-
दशानन रावण का करीब 125 साल पुराना दशानन मंदिर कानपुर के शिवाला इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 1890 में राजा गुरु प्रसाद शुक्ल ने करवाया था। इस मंदिर दरवाजे हर साल दशहरे पर भक्तों के लिए खोले जाते हैं।

बताया जाता है कि मंदिर निर्माण के पीछे का मकसद यह था कि रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त होने के साथ ही अत्यंत विद्वान भी था। यहां दशहरे के अवसर पर, भक्तों द्वारा ‘दशनन’ (रावण – या दस सिर वाले) की मूर्ति को ‘आरती’ के बाद सजाया गया था।

लोग इस दौरान मिट्टी के दीये जलाते हैं और मंदिर में त्योहार मनाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

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: जोधपुर रावण मंदिर (राजस्थान) : Jodhpur Ravana Temple (Rajasthan)-
जोधपुर में श्रीमाली समाज के गोधा गौत्र के लोग स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं। कहा जाता है कि ये गोधा गोत्री श्रीमाली लोग रावण की बारात में आए और यहीं पर बस गए। जोधपुर के मेहरानगढ़ किला रोड पर इन्होंने रावण का मंदिर भी बना रखा है, जहां उसकी पूजा की जाती है।
इसके अलावा जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ फोर्ट की तलहटी में भी रावण और उसकी पत्नी मंदोदरी का मंदिर बना हुआ हैं। जहां हर रोज रावण और रावण की कुलदेवी खरानना देवी की पूजा की जाती है।
मंदिर में वर्ष 2008 में विधि विधान से रावण की मूर्ति स्थापित की गई थी। बताया जाता है कि ये पहला रावण का मंदिर है, जहां रावण के परिजनों व रावण की पूजा-अर्चना की जाती है और लंकाधिपति को अपना वंशज मानते हुए पंडितों को भोज कराया जाता है।
Karnataka- इसके अलावा रावण का पुतला न केवल कर्नाटक के कोलार या मालवल्ली में भी नहीं जलाया जाता।

Amravati- महाराष्ट्र के अमरावती में भी रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है। यहां गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय द्वारा रावण का पूजन होता है। दरअसल आदिवासियों का पर्व फाल्गुन, रावण की खास तौर से पूजा कर मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं।
Ujjain- मप्र के उज्जैन जिले के एक गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है। रावण का यह स्थान उज्जैन जिले काचिखली गांव है। यहां के बारे में कहा जाता है, कि रावण की पूजा नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा। इसी डर से ग्रामीण यहां रावण दहन नहीं करते और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं।
Indore- मप्र में इंदौर के परदेशीपुरा इलाके में रावण का एक मंदिर है, जहां दशहारा के मौके पर पूजा की जाती है। रावण के अनुयायी मानते हैं कि वह समाज का सबसे बुद्धिजीवी है। दरअसल, इंदौर में भी ज्यादातर जगहों पर रावण का वध होता है। परदेशी पुरा क्षेत्र में एक दलित नेता महेश गौहर ने घर में रावण मंदिर बनवाया है। वह हर दिन अपने घर में रावण की पूजा करता है। दशहरा के दिन गोहर अपने घर में रावण की पूजा करते हैं और घर में यज्ञ भी होता है।
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