मध्यप्रदेश की विधानसभा में 230 सीटें हैं। 28 अभी खाली हैं। भाजपा के पास 107 विधायक हैं जबकि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को 116 सीटों की जरूरत है ऐसे में भाजपा निर्दलीय विधायकों को साधने में लगी हुई है। सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों की संख्या मध्यप्रदेश में 7 है। ऐसे में भाजपा इन विधायकों को अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि परिणाम के बाद ये विधायक इनके साथ रहते हैं या नहीं अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। प्रदीप जायसवाल पहले ही भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। भाजपा ने उन्हें खनिज निगम का अध्यक्ष भी बनाया है। भाजपा ने दो दिन पहले निर्दलीय विधायक केदार डाबर को लाकर समर्थन की घोषणा कराई है।
कांग्रेस 28 सीटें जीतकर ही सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन कांग्रेस अपने प्लान बी में काम कर रही है। 28 सीटों पर फोकस करने की जगह भाजपा कांग्रेस का फोकस केवल 15 सीटों पर है। अगर कांग्रेस 15 सीटों पर भी जीत दर्ज कर लेती है तो उसका प्लान बी एक्टिव होगा। प्लान बी के तहत कांग्रेस नहले पर दहला मारते हुए भाजपा विधायकों को ले उडऩे की प्लानिंग कर रही है, ताकि भाजपा को सत्ता गिराने का जवाब दिया जा सके। इसके लिए भाजपा विधायकों की माइक्रो-स्क्रीनिंग कर ली गई है। कांग्रेस बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के भी संपर्क में है, ताकि यदि सरकार बनाने में इन्हीं की जरूरत पड़े तो वापस पाले में किया जा सके।
कांग्रेस प्रत्येक भाजपा विधायक का बैकग्राउंड और उसके दल बदलने की संभावना को देखा गया है। इसमें वरिष्ठता क्रम के हिसाब से विधायकों की स्क्रूटनी की गई है। इसमें ऐसे 16 विधायक चिह्नित किए गए हैं, जो अच्छा ऑफर मिलने और बेहतर स्थिति के हिसाब से भाजपा छोड़कर कांग्रेस के साथ आ सकते हैं।