scriptवोटिंग से पहले प्लान बी: सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस भाजपा विधायकों को साधने में जुटी, बीजेपी का प्लान भी एक्टिव | Plan B before voting: Congress engaged in helping BJP MLAs | Patrika News

वोटिंग से पहले प्लान बी: सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस भाजपा विधायकों को साधने में जुटी, बीजेपी का प्लान भी एक्टिव

locationभोपालPublished: Oct 25, 2020 08:43:36 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

कांग्रेस ने भाजपा के कुछ ऐसे विधायकों को चिन्हित किया है जो टूट सकते हैं।

वोटिंग से पहले प्लान बी: सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस भाजपा विधायकों को साधने में जुटी, बीजेपी का प्लान भी एक्टिव

वोटिंग से पहले प्लान बी: सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस भाजपा विधायकों को साधने में जुटी, बीजेपी का प्लान भी एक्टिव

भोपाल. 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे की मध्यप्रदेश में सत्ता किसके हाथ रहेगी। सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को 9 सीटों की जरूरत है तो कांग्रेस को वापसी के लिए सभी 28 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। 10 नवंबर को चुनाव परिणाम आने से पहले ही दोनों दल प्लान बी में काम कर रहे हैं। भाजपा जहां निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने में लगी है वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाजपा के कुछ ऐसे विधायकों को चिन्हित किया है जो टूट सकते हैं। दोनों ही दल वोटिंग और परिणाम से पहले अपने-अपने सियासी समीकरण तय करने में लगे हुए हैं।
भाजपा को जीत के लिए 9 सीटों की जरूरत
मध्यप्रदेश की विधानसभा में 230 सीटें हैं। 28 अभी खाली हैं। भाजपा के पास 107 विधायक हैं जबकि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को 116 सीटों की जरूरत है ऐसे में भाजपा निर्दलीय विधायकों को साधने में लगी हुई है। सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों की संख्या मध्यप्रदेश में 7 है। ऐसे में भाजपा इन विधायकों को अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि परिणाम के बाद ये विधायक इनके साथ रहते हैं या नहीं अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। प्रदीप जायसवाल पहले ही भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। भाजपा ने उन्हें खनिज निगम का अध्यक्ष भी बनाया है। भाजपा ने दो दिन पहले निर्दलीय विधायक केदार डाबर को लाकर समर्थन की घोषणा कराई है।
निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और केदार डाबर दोनों से समर्थन की चिट्ठी लिखवाई गई है। पत्रों को विधानसभा सचिवालय को भेजा गया है। खास ये कि इस तकनीकी पहलू का भी भाजपा ने ध्यान रखा है, ताकि सीटों के गणित में वह मजबूत हो सके। बसपा के दो, सपा के एक विधायक का समर्थन पहले से भाजपा को है। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल व विक्रम सिंह राणा समर्थन दे चुके हैं। केदार व सुरेंद्र के समर्थन के बाद अब भाजपा का नया अंक गणित 107 प्लस 7 यानी 114 सीटों का हो गया है। ऐसे में उसे केवल दो सीटें सरकार बनाने के लिए चाहिए। हालांकि भाजपा को अकेले अपने दम पर सरकार बनाने के लिए 9 सीटों की जरूरत है।
कांग्रेस का प्लान बी
कांग्रेस 28 सीटें जीतकर ही सत्ता में वापसी कर सकती है। लेकिन कांग्रेस अपने प्लान बी में काम कर रही है। 28 सीटों पर फोकस करने की जगह भाजपा कांग्रेस का फोकस केवल 15 सीटों पर है। अगर कांग्रेस 15 सीटों पर भी जीत दर्ज कर लेती है तो उसका प्लान बी एक्टिव होगा। प्लान बी के तहत कांग्रेस नहले पर दहला मारते हुए भाजपा विधायकों को ले उडऩे की प्लानिंग कर रही है, ताकि भाजपा को सत्ता गिराने का जवाब दिया जा सके। इसके लिए भाजपा विधायकों की माइक्रो-स्क्रीनिंग कर ली गई है। कांग्रेस बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के भी संपर्क में है, ताकि यदि सरकार बनाने में इन्हीं की जरूरत पड़े तो वापस पाले में किया जा सके।
16 विधायक चिन्हित
कांग्रेस प्रत्येक भाजपा विधायक का बैकग्राउंड और उसके दल बदलने की संभावना को देखा गया है। इसमें वरिष्ठता क्रम के हिसाब से विधायकों की स्क्रूटनी की गई है। इसमें ऐसे 16 विधायक चिह्नित किए गए हैं, जो अच्छा ऑफर मिलने और बेहतर स्थिति के हिसाब से भाजपा छोड़कर कांग्रेस के साथ आ सकते हैं।
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