योजनाएं जो नहीं उतर सकीं जमीन पर
1. योजना: नादरा बस स्टैंड से भोपाल स्टेशन के बीच स्काईवॉक
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नादरा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बीच हैवी ट्रैफिक की समस्या है। इसके बनाते ही राहगीर पांच मिनट में ये दूरी तय कर सकेंगे।
क्यों अटकी: कागजी प्लानिंग से आगे काम नहीं बढ़ी। फिजिबिलिटी तक की जांच नहीं हो सकी।
1. योजना: नादरा बस स्टैंड से भोपाल स्टेशन के बीच स्काईवॉक
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नादरा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बीच हैवी ट्रैफिक की समस्या है। इसके बनाते ही राहगीर पांच मिनट में ये दूरी तय कर सकेंगे।
क्यों अटकी: कागजी प्लानिंग से आगे काम नहीं बढ़ी। फिजिबिलिटी तक की जांच नहीं हो सकी।
2. योजना: आठ करोड़ की लागत से चौक को हैरिटेज बाजार बनाना
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: लोगों को ऐतिहासिक क्षेत्र के महत्व से रूबरू कराना। सुविधाओं में विस्तार। अंडरग्राउंड केबल आदि व्यवस्था।
क्यों अटकी: तत्कालीन सिविल इंजीनियरों से मिलीभगत कर ठेका कंपनी ने बीच में काम छोड़ा, किसी ने ध्यान नहीं दिया।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: लोगों को ऐतिहासिक क्षेत्र के महत्व से रूबरू कराना। सुविधाओं में विस्तार। अंडरग्राउंड केबल आदि व्यवस्था।
क्यों अटकी: तत्कालीन सिविल इंजीनियरों से मिलीभगत कर ठेका कंपनी ने बीच में काम छोड़ा, किसी ने ध्यान नहीं दिया।
3. योजना: सावरकर सेतु के आसपास सौंदर्यीकरण
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: सर्वसुविधायुक्त सार्वजनिक स्थल उपलब्ध कराना।
क्यों अटकी: अफसरों की अनदेखी से 4.58 करोड़ की लागत वाली इस योजना में कुछ काम हुआ, पर महीनों से गति सुस्त है। इसकी वजह फंड की कमी बताई जा रही है।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: सर्वसुविधायुक्त सार्वजनिक स्थल उपलब्ध कराना।
क्यों अटकी: अफसरों की अनदेखी से 4.58 करोड़ की लागत वाली इस योजना में कुछ काम हुआ, पर महीनों से गति सुस्त है। इसकी वजह फंड की कमी बताई जा रही है।
4. योजना: गणेश मंदिर आरओबी से बोर्ड ऑफिस तक 6.81 करोड़ की लागत से सर्विस रोड का निर्माण
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: रोजाना एक लाख लोगों को हैवी ट्रैफिक से नहीं जूझना पड़ेगा।
क्यों अटकी: एक तरफ की सर्विस रोड का 70 फीसदी काम हुआ है। हबीबगंज स्टेशन की ओर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: रोजाना एक लाख लोगों को हैवी ट्रैफिक से नहीं जूझना पड़ेगा।
क्यों अटकी: एक तरफ की सर्विस रोड का 70 फीसदी काम हुआ है। हबीबगंज स्टेशन की ओर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।
5. योजना: महिलाओं के लिए शी-लाउंज सुविधा की शुरुआत
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: आईएसबीटी, एमपी नगर जोन एक व दो, बोर्ड ऑफिस, बिट्टन सब्जी मंडी, शाहपुरा तालाब किनारे, कलेक्टर कार्यालय के पास शी-लाउंज का निर्माण किया जाएगा।
क्यों अटकी: रसूखदारों के दखल से योजना फेल हो गई।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: आईएसबीटी, एमपी नगर जोन एक व दो, बोर्ड ऑफिस, बिट्टन सब्जी मंडी, शाहपुरा तालाब किनारे, कलेक्टर कार्यालय के पास शी-लाउंज का निर्माण किया जाएगा।
क्यों अटकी: रसूखदारों के दखल से योजना फेल हो गई।
6. योजना: माता मंदिर मुख्यालय के पास निगम के बहुमंजिला भवन का निर्माण।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नगर निगम के कार्यालय एक स्थान आने से लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा।
क्यों अटकी: इसमें पीएचई और नगर निगम के बीच जमीन विवाद हुआ। मामला कोर्ट पहुंचा, नतीजतन काम रोकना पड़ा।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नगर निगम के कार्यालय एक स्थान आने से लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा।
क्यों अटकी: इसमें पीएचई और नगर निगम के बीच जमीन विवाद हुआ। मामला कोर्ट पहुंचा, नतीजतन काम रोकना पड़ा।
7. योजना: एक हेक्टेयर में भारत माता मंदिर परिसर का निर्माण।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: भोपाल में नया पर्यटन स्थल विकसित होता तो देश में शहर का गौरव बढ़ जाता।
क्यों अटकी: योजना को मूर्तरूप देने के लिए राज्य शासन को दस करोड़ देने थे। उन्होंने इनकार कर दिया। बजट नहीं होने से काम अटका।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: भोपाल में नया पर्यटन स्थल विकसित होता तो देश में शहर का गौरव बढ़ जाता।
क्यों अटकी: योजना को मूर्तरूप देने के लिए राज्य शासन को दस करोड़ देने थे। उन्होंने इनकार कर दिया। बजट नहीं होने से काम अटका।
8. योजना: नवबहार सब्जी मंडी की खाली जमीन पर बस स्टैंड निर्माण।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नादरा बस स्टैंड पर भार कम होगा। अत्याधुनिक बस स्टैंड मिलने से बैरसिया, विदिशा और आगे तक बसों का संचालन आसान होगा।
क्यों अटकी: पीपीपी मॉडल से इसे विकसित करने का प्रस्ताव था। अब तक एजेंसी तय नहीं कर सके।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: नादरा बस स्टैंड पर भार कम होगा। अत्याधुनिक बस स्टैंड मिलने से बैरसिया, विदिशा और आगे तक बसों का संचालन आसान होगा।
क्यों अटकी: पीपीपी मॉडल से इसे विकसित करने का प्रस्ताव था। अब तक एजेंसी तय नहीं कर सके।
9. योजना: आदमपुर छावनी में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट। 525 करोड़ रुपए का बजट।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: राजधानी समेत छह शहरों का कचरा इक_ा कर 20 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्लांट लगाना।
क्यों अटकी: ठेका एजेंसी काम नहीं करना चाहती। ठेका निरस्त हुआ। इसके बाद कोई सामने नहीं आया।
एजेंसी: नगर निगम। दावा था: राजधानी समेत छह शहरों का कचरा इक_ा कर 20 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्लांट लगाना।
क्यों अटकी: ठेका एजेंसी काम नहीं करना चाहती। ठेका निरस्त हुआ। इसके बाद कोई सामने नहीं आया।
स्वास्थ्य सेवाएं
1. योजना: मुख्यमंत्री प्रसूति सहायता योजना में सरकारी अस्पताल में प्रसव होने पर महिला को 16 हजार दिए जाते हैं।
एजेंसी: स्वास्थ्य विभाग। दावा: बजट की कमी से प्रसूताओं को राशि नहीं मिल रही है।
क्या है हाल: एनएचएम से बजट जारी नहीं किया जा रहा है।
2. योजना: जेपी अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाना।
एजेंसी: स्वास्थ्य विभाग। दावा: डॉक्टरों की कमी दूर करने जेपी को मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करने की योजना थी।
क्या है हाल: दस साल पहले का प्रस्ताव अब भी फाइलों में है।
1. योजना: मुख्यमंत्री प्रसूति सहायता योजना में सरकारी अस्पताल में प्रसव होने पर महिला को 16 हजार दिए जाते हैं।
एजेंसी: स्वास्थ्य विभाग। दावा: बजट की कमी से प्रसूताओं को राशि नहीं मिल रही है।
क्या है हाल: एनएचएम से बजट जारी नहीं किया जा रहा है।
2. योजना: जेपी अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाना।
एजेंसी: स्वास्थ्य विभाग। दावा: डॉक्टरों की कमी दूर करने जेपी को मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करने की योजना थी।
क्या है हाल: दस साल पहले का प्रस्ताव अब भी फाइलों में है।
परिवहन प्रोजेक्ट
बीसीएलएल ने शहर में पांच अतिरिक्त डेडीकेटेड लेन प्रस्तावित की थीं। सिर्फ मिसरोद से बैरागढ़ के बीच 24 किमी लंबा डेडीकेटेड लेन ही बन सका।
शहर में प्रतिदिन पांच लाख की आबादी पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी लो-फ्लोर बसों का इस्तेमाल करती है।
केंद्र सरकार ने इसे फिजूलखर्ची बताकर 300 करोड़ का अनुदान जारी करने से इनकार किया।
बीसीएलएल ने शहर में पांच अतिरिक्त डेडीकेटेड लेन प्रस्तावित की थीं। सिर्फ मिसरोद से बैरागढ़ के बीच 24 किमी लंबा डेडीकेटेड लेन ही बन सका।
शहर में प्रतिदिन पांच लाख की आबादी पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी लो-फ्लोर बसों का इस्तेमाल करती है।
केंद्र सरकार ने इसे फिजूलखर्ची बताकर 300 करोड़ का अनुदान जारी करने से इनकार किया।
हम सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए संकल्पित हैं। निगम प्रशासन इन योजनाओं को शुरू करने में जुटा है। इसके लिए बजट भी स्वीकृत है। वर्तमान समय के मुताबिक फिजिबिलिटी तय कर काम किया जाएगा।
आलोक शर्मा, महापौर
आलोक शर्मा, महापौर
शहर में एकमात्र डेडीकेटेड लेन से बसों को रफ्तार मिलती है। इनकी संख्या बढ़ाने के लिए नए सिरे से प्रस्ताव बनाएंगे, जिसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
केवल मिश्रा, डायरेक्टर, बीसीएलएल
केवल मिश्रा, डायरेक्टर, बीसीएलएल