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अचानक पहुंचे लोकसभा, खास नहीं रहा प्रदर्शन

locationभोपालPublished: Aug 27, 2018 08:08:31 am

Submitted by:

Arun Tiwari

विवाद टालने बनाया था उम्मीदवार : अब सीट नहीं छोडऩा चाहते ये सांसद

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भोपाल. वर्ष 2014 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 27 जीती थीं। टिकट को लेकर चल रहे अंतर्विरोध के कारण संगठन ने 12 ऐसे नेताओं को सांसद बनाया जिनका खास जनाधार नहीं था। अब यही सांसद भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं। सभी ने टिकट के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कुछ नेताओं ने तो दिल्ली में भी अपनी दावेदारी पेश कर दी। इनमें से अधिकांश सांसदों का लोकसभा में भी प्रदर्शन खास नहीं रहा है।

** लोकसभा में प्रदर्शन के आधार पर आकलन
आलोक संजर, भोपाल : भाजपा भोपाल से तत्कालीन सांसद कैलाश जोशी की जगह आलोक शर्मा को टिकट देना चाहती थी, जोशी टिकट के लिए अड़े थे। उन्होंने कार्यालय मंत्री आलोक संजर का नाम लिया, जबकि वे टिकट की दौड़ में ही शामिल नहीं थे। अब संजर दोबारा टिकट चाहते हैं।
लोकसभा में स्थिति – संजर ने 121 डिबेट में हिस्सा लिया और 392 सवाल पूछे।लक्ष्मीनारायण यादव, सागर : सागर सीट पर कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह अपने परिजनों के लिए टिकट मांग रहे थे। दोनों का टकराव टालने के लिए पार्टी ने उम्रदराज लक्ष्मीनारायण यादव को टिकट दे दिया। यादव अब अपने पुत्र को सांसद बनाना चाहते हैं। यादव ने 41 डिबेट में ही हिस्सा लिया और 324 सवाल पूछे। कोई भी अशासकीय संकल्प नहीं दिया।
नागेंद्र सिंह, खजुराहो : पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह ने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया था, लेकिन खजुराहो सीट पर रामकृष्ण कुसमरिया और तत्कालीन सांसद जितेंद्र सिंह बुंदेला में टिकट को लेकर टकराव शुरू हो गया। पार्टी ने नागौद से नागेंद्र सिंह को बुलाकर टिकट थमा दिया।

लोकसभा में स्थिति – सात डिबेट में हिस्सा लिया और एक भी सवाल नहीं पूछा।ज्ञान सिंह, शहडोल : भाजपा ने शहडोल लोकसभा उनचुनाव में ज्ञान सिंह को उम्मीदवार बनाया था। दावेदार बहुत थे, लेकिन पार्टी के सामने जीत का संकट था। ज्ञान सिंह बेमन से उम्मीदवार बने क्योंकि वे मंत्री पद नहीं छोडऩा चाहते थे। मुख्यमंत्री ने उनको सांसद बनने के बाद छह माह तक मंत्री भी बनाए रखा। ज्ञान सिंह ने अपने पुत्र को विधायक भी बनवाया। अब वे खुद विधानसभा का टिकट चाहते हैं।
लोकसभा में स्थिति- एक डिबेट में हिस्सा लिया और दो सवाल पूछे।
जनार्दन मिश्रा, रीवा : रीवा से नागेंद्र सिंह गुढ़, विद्याप्रकाश श्रीवास्तव और केशव पांडे लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते थे, इनमें से दो की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती थी, क्योंकि ये सीट बसपा से छीननी थी। पार्टी ने रीवा के कार्यालय मंत्री जनार्दन मिश्रा को टिकट दे दिया। मिश्रा अब फिर से चुनाव लडऩा चाहते हैं।
लोकसभा में स्थिति – 35 डिबेट में बोले और 130 सवाल पूछे।
रोडमल नागर, राजगढ़ : राजगढ़ लोकसभा सीट के लिए अचानक से रोडमल नागर का नाम आ गया। वे जिला पंचायत चुनाव हार चुके थे, जिसके कारण चुनाव समिति के कई सदस्य उनको टिकट देने पर सहमत नहीं थे। नागर अब फिर से टिकट चाहते हैं। लोकसभा में स्थिति- 261 डिबेट में भाग लिया और 429 सवाल पूछे।
– इन्हें भी अचानक मिले थे टिकट
उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय ने 28 डिबेट भाग लिया और 192 सवाल पूछे। देवास सांसद मनोहर उंटवाल ने 52 सवाल पूछे और दो डिबेट में भाग लिया। मंदसौर से सुधीर गुप्ता 352 डिबेट में बोले व 895 सवाल लगाए। धार से सावित्री ठाकुर 13 डिबेट में बोलीं और 49 सवाल किए। खरगौन से सुभाष पटेल ने आठ डिबेट में हिस्सा लिया और 95 सवाल पूछे। सीधी से रीति पाठक ने 94 डिबेट में भाग लिया और 291 सवाल पूछे। ये सभी सांसद टिकट के लिए भोपाल से दिल्ली तक गुहार लगा चुके हैं।

मैं चुनाव लड़ूंगा। अभी दौरे पर ही हंू। चुनाव की पूरी तैयारी है, जो वादे किए थे वो पूरे किए।
– चिंतामणि मालवीय, सांसद,उज्जैन

मैं चुनाव लडऩा चाहता हूं। बाकी पार्टी की मर्जी, वो मेरे बारे में जो भी फैसला करे।
– जनार्दन मिश्रा, सांसद, रीवा
पार्टी ने पहले कहा चुनाव लड़ो तो लड़ लिया, फिर आदेश करेगी तो फिर लड़ लेंगे।
– आलोक संजर, सांसद,भोपाल

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