जमीन विवाद बना देरी की वजह
निगम अधिकारियों का कहना हैकि ज्यादातर प्रोजेक्ट के लिए निगम को जमीन मिलने में काफी समस्या हुई। वोट बैंक के चलते विधायकों की मांग थी कि उनके विधानसभा क्षेत्र में ही आवास बनें, लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने से काम चालू होने में देरी हुई।
यहां बनने हैं आवास
वर्तमान में शहर में निगम 20 हजार आवासों का निर्माण ही शुरू कर पाया है। जबकि 51 हजार 694 आवास बनाने की डीपीआर को स्वीकृति मिल चुकी है। अभी तक 12 नंबर, श्याम नगर, गंगा नगर, आराधना नगर, राहुल नगर फेज वन, कोकता और मालीखेड़ी के आवासों का काम चालू हो पाया है, लेकिन फंड की कमी से काम अधूरे में रोकना पड़ा।
प्रति मकान 3.16 लाख चाहिए
एक ईडब्ल्यूएस भवन पर 6 लाख से अधिक खर्च आएगा। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से निगम को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे। भवन मालिक से सिर्फ 1.94 लाख रुपए ही लिए जाएंगे। बाकी निगम को प्रति मकान 3.16 लाख खुद से जुटाना होगा। इस राशि जुटाने के लिए निगम ने एलआईजी और एमआईजी का प्रावधान किया था, लेकिन रेट तय नहीं हो पाने से निगम को पैसा नहीं मिल पाया।
पीएम आवास योजना के लिए कर्ज लेने राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है। जमीन मिलने में देरी से प्रोजेक्ट में विलंब हुआ है। कई प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं। काम तेजी से चल रहे हैं। तय समय पर काम पूरा करने का प्रयास करेंगे।
– आलोक शर्मा, महापौर