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पीएम मोदी के ‘मन की बात’, इस बात पर एमपी को सराहा

locationभोपालPublished: Aug 26, 2018 12:43:43 pm

Submitted by:

Faiz Faiz Mubarak

पीएम मोदी के ‘मन की बात’, इस बात पर एमपी को सराहा

mann ki baat

पीएम मोदी के ‘मन की बात’, इस बात पर की एमपी की तारीफ

भोपालः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर चलने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 47वें संस्करण के ज़रिए एक बार फिर देश की जनता के साथ जुड़े कार्यक्रम के दौरान पीएम ने सख्त तेवर में कहा कि, दुष्कर्मियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि, इसके लिए ससंद में कानून भी बन चुका है। दुष्कर्म के मामले पर सख्ती बरतने वाले पहले राज्य मध्य प्रदेश की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, प्रदेश के मंदसौर और कटनी में हुए दुष्कर्म के मामले को लेकर अदालतों दिए गए अब तक के सबसे तेज फैसलों ने देश में एक इबारत खड़े करते हुए दोषियों को यह बताने की कोशिश की कि, सरकार इस तरह के घिनौने मामलों को लेकर काफी गंभीर है। पीएम ने कहा कि मंदसौर में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने 2 महीने में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई और कटनी में सिर्फ 5 दिन की सुनवाई में अदालत ने दुष्कर्म के दोषी को सजा सुनाई।

कटनी दुष्कर्म और सजा

बता दें कि, 4 जुलाई 2018 को कटनी में मासूम के साथ ऑटो में दुष्कर्म की वारदात सामने आई थी। 12 जुलाई को इसकी केस डायरी कोर्ट में पेश की गई। इसके बाद 24, 25 और 26 जुलाई को कोर्ट में 21 लोगों की गवाही हुई। 26 जुलाई को ही मामले में पूरी सुनवाई हो गई और 27 जुलाई को दोषी राजकुमार कोल (34) को फांसी की सजा का ऐलान कर दिया गया। इस फैसले के बाद यह बात भी साफ हो गई कि, भले ही राज्य सरकार प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश नही लगा पा रही, लेकिऩ दोषियों पर सख्त कार्रवाई करके बता रही है, कि सरकार इसपर कितनी गंभीर है।

मंदसौर दुष्कर्म और सजा

मंदसौर दुष्कर्म केस में पुलिस द्वारा इस मामले में 12 जुलाई को न्यायालय में चार्जशीट पेश की थी। 30 जुलाई से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई जो 8 अगस्त तक चली। अभियोजन ने करीब 37 गवाहों को पेश किया था। 14 अगस्त को अंतिम बहस हुई थी। 21 अगस्त को अदालत ने दोषियों आसिफ पिता जहीर खा और इरफान पिता जुल्फिकार मेव को फांसी की सजा सुनाई।

हां से शुरु की थी पीएम ने बात

पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम केरल बाढ़ पीड़ितों से शुरू की। उन्होंने कहा कि आपदाएं अपने पीछे जिस प्रकार की बर्बादी छोड़ जाती हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण हैं लेकिन आपदाओं के समय मानवता के भी दर्शन हमें देखने को मिलते हैं। कच्छ से कामरूप और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर कुछ-न-कुछ कर रहा है। उन्होंने राहत बचाव कार्य की तारीफ करते हुए सशस्त्र बलों की जमकर प्रशंसा की। पीएम मोदी ने कहा, ‘सशस्त्र बलों के जवान केरल में चल रहे बचाव कार्य के नायक हैं। उन्होंने बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’

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