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प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम टास्क में पिछड़ गए हम, प्रगति रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य आए समाने

locationभोपालPublished: Jun 16, 2019 07:37:05 am

Submitted by:

Ashok gautam

आकांक्षी ब्लॉकों की प्रगति रिपोर्ट चौकानी वाली स्वास्थ्य और अधोसंरचना में आई गिरावट

Government school Lightning heat student teacher

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भोपाल। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहली पारी में देश के 108 अति पिछड़े जिलों को आकांक्षी जिलों का नाम देकर उनके विकास की नई कवायद शुरू की थी। इसी तर्ज पर मोदी ने हर प्रदेश को आकांक्षी ब्लॉक तय करके उन्हें विकसित करने का टास्क दिया था। लेकिन मोदी के इस ड्रीम टास्क में मध्यप्रदेश के 50 आकांक्षी ब्लाकों को अगड़े की श्रेणी में लाने के प्रयास में सरकार फेल होती नजर आ रही हैं।

ज्यादा पिछड़ गए
चौकाने वाली बात यह है कि ये ब्लाक अब स्वास्थ्य और अधोसंरचना विकास के मामले में पहले की तुलना में और ज्यादा पिछड़ गए हैं। वित्तीय और सामाजिक स्थिति में भी इनकी प्रगति महज 0.06 प्रतिशत, जो कि ना के बाराबर है।

 


रिपोर्ट में सवाल खड़े करने वाली
पिछले एक साल से इन ब्लॉकों को आगे लाने के लिए सरकारी दावे तो बहुत हैं लेकिन रिपोर्ट में आई जानकारी सवाल खड़े करने वाली है। यह स्थिति पिछली शिवराज सरकार और वर्तमान कमलनाथ सरकार के समय की है।

विकासदर सामने आई
सरकार ने स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि तथा इसकी सहयोगी सेवाएं, अधोसंरचना, कौशल विकास, सामाजिक और वित्तीय समावेश के आधार पर आकांक्षी ब्लाकों की स्कोरिंग की है। रिपोर्ट में पाया कि स्वास्थ्य और अधोसंरचना के मामले में ऋणात्मक विकासदर सामने आई है।

 

सौ में से सिर्फ 58 रहा
स्वास्थ्य में 0.21 तो अधोसंरचना के क्षेत्र में 0.10 की गिरावट आई है। आकांक्षी ब्लाक शिक्षा, कौशल विकास और कृषि के क्षेत्र में महज 0.15 से 0.20 फीसदी आगे बढ़े हैं, वहीं सामाजिक और वित्तीय समावेश में विकास दर की गति काफी धीमी है। सीएम डैशबोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है आकांक्षी विकासखंडों का औसत विकास स्कोर सौ में से सिर्फ 58 रहा है।

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ये हैं पैरामीटर-

स्वास्थ्य: टीकाकरण और संस्थागत प्रसव में गिरावट

स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल घरेलू प्रसव में से प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा कराए गए प्रसव में एक प्रतिश की कमी आई है। वहीं आकांक्षी ब्लॉकों में संस्थागत प्रसव में कमी चौकाने वाली है। इसमें 6.75 प्रतिशत की कमी आई है।

 

लक्ष्य महज 51 प्रतिशत पूरा किया
9 से 11 माह के बीच के बच्चों के टीकाकरण में 8 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं टीबी के रोगियों में से टीबी के उपचार की सफलता के दर में तीन प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करने का लक्ष्य 83 प्रतिशत रखा गया था, लेकिन यह लक्ष्य महज 51 प्रतिशत ही पूर किया है।

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शिक्षा : आदिवासी बच्चों का स्कूल पहुंचना हुआ कम

आकांक्षी ब्लॉकों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों और बच्चिों के स्कूल में नामांकन में गिरावट दर्ज की गई है। कक्षा 1 से 8 तक शुद्ध नामांकन अनुपात में औसतन 0.32 तथा कक्षा 8 से 9 तक यह गिरावट 0.82 प्रतिशत की है।


असंतोष जाहिर किया
रिपोर्ट में 9वीं और 6 वीं पास बच्चों को नि:शुल्क साईकिल वितरण पर भी असंतोष जाहिर किया गया है। स्कूलों में आरटीई मानदंडों के निर्धारित शिक्षक-छात्र अनुपात भी बेहतर नहीं है। शिक्षक-छात्र अनुपा में सबसे ज्यादा खराब स्थिति कक्षा 9 से लेकर दसवीं तक के स्तर में है, जिसका प्रतिशत 34 है।

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अधोसंरचना के क्षेत्र में
अधोसंरचना के क्षेत्र में इन ब्लाकों में 0.10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।सबसे ज्यादा खराब स्थिति स्वीकृत इमारतों को पूर्ण करने को लेकर है। स्वीकृत इमारतों में से अपूर्ण इमारतों का प्रतिशत पिछले समय की तुलना 1.28 प्रतिशत बढ़ गया है। अर्थात समय पर काम पूरा नहीं हो पा रहा है।


प्रतिशत की कमी आई
जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण क्षेत्र में प्रगति में 0.53 प्रतिशत की कमी आई है। जितने स्कूल और आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत किए गए थे उसमें से अपूर्ण स्कूलों का प्रतिशत 28 से भी अधिक है।

 

सामजिक और वित्तीय समावेश

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत नामांकन में 2.23 तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत नामांकन के औसत में 0.34 प्रतिशत की कमी आई है। स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत सम्मिलित वंचति परिवारों का प्रतिशत 62 है और आधार के साथ जोड़े गए बैंक खातों का प्रतिशत भी संतोषप्रद नहीं है।

16 जिलों में हैं ये पिछले ब्लाक

भाजपा सरकार ने प्रदेश के 43 जिलों में पिछड़े ब्लॉक का सर्वे कराया था। इसमें सबसे ज्यादा 29 आदिवासी अधिसूचित और दो अनुसूचित जाति बहुल ब्लाक पिछड़े पाए गए हैं। 43 जिलों में से 27 जिलों में एक भी पिछड़ा ब्लाक नहीं हैं, 16 जिलों में ये सभी पिछड़े ब्लाक हैं। धार और खंडवा जिले में तो पांच-पांच ब्लाक हैं। रीवा और शहडोल संभाग मुख्यालय होने के बाद इन जिलों में तीन और दो ब्लाक पिछड़े हैं। उज्जैन संभाग में सिर्फ एक बाजना ब्लॉक पिछड़ा है।

 

इन ब्लॉकों की स्थिति बहुत खराब-
जयसिंह नगर, पाली, गोहपारू, मेहदवानी, बल्देवगढ़ और अंतराल ब्लॉक

प्रधानमंत्री ने अति पिछड़े ब्लाक को प्राथमिकता पर लेने को कहा था लेकिन उन्होंने आज तक समीक्षा के अलावा कुछ नहीं किया। प्रदेश सरकार अपने सीमित संसाधनों से बेहतर करने की कोशिश कर रही है और ये अति पिछड़े ब्लाक हमारे फोकस में हैं। अभी सरकार को ही 6 महीने हुए हैं, बीजेपी सरकार खाली खजाना देकर गई है।


तरुण भनोट,मंत्री, आर्थिक, योजना एवं सांख्यकीय विभाग


मुझे इस संबंध में कोई आइडिया नहीं है। आकांक्षी ब्लाकों की सारी स्कीम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग चलाता है।
मो. सुलेमान, प्रमुख सचिव, आर्थिक, योजना एवं सांख्यकीय विभाग

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