उधर, कैबिनेट की बैठक में मंत्री परिषद ने निर्णय लिया कि अतिथि विद्वानों को वर्तमान में रिक्त और भविष्य में स्वीकृत होने वाले पदों के विरूद्ध दोबारा कार्य पर रखने के संबंध में उ’च शिक्षा विभाग द्वारा नीति निर्धारित की जाएगी।
वर्ष 2022 तक की चयन प्रक्रियाओं में अतिथि विद्वानों को 20 फीसदी वरीयता अंक और आयु सीमा में छूट के लिए मप्र शैक्षणिक सेवा (महाविद्यालयीन शाखा) भर्ती नियम-1990 में आवश्यक संशोधन भी किए जाएंगे। उ’च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो बिना पीएससी एग्जाम पास किए किसी भी अतिथि विद्वान की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
कैबिनेट का निर्णय शोषणकारी और छलावा है
देवराज सिंह ने कहा है कि कैबिनेट का अतिथि विद्वानों के संबंध में लिया गया निर्णय हमारे हित में नहीं है। यह शोषणकारी व छलवा है। हमारी मांग केवल अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण है। इससे कम हमें कुछ भी स्वीकार नही है, जो भाषा बीजेपी सरकार की थी अब कांग्रेस सरकार भी वही भाषा बोल रही है। सरकार वचनपत्र में किया हुआ वादा निभाए नहीं तो अब हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
आज मुंडन करवाएंगे अतिथि विद्वान
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि नियमितीकरण नही किए जाने और हमारे स्थानों पर सहायक प्राध्यापक परीक्षा के चयनितों को नियुक्तिपत्र जारी किए जाने के विरोध में गुरुवार को अतिथि विद्वान अपना मुंडन करवाएंगे। सरकार अपने वचनपत्र के प्रति गंभीर नही दिखाई पड़ रही है। सरकार गठन के एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी सरकार नियमितीकरण के नाम पर एक कदम आगे नही बढ़ी है।