scriptPOLITICS AGAINST SCINDIA; ज्योतिरादित्य सिंधिया से क्या भाजपा नाराज है? | Political cold war against Scindia broke out in BJP 10101 | Patrika News

POLITICS AGAINST SCINDIA; ज्योतिरादित्य सिंधिया से क्या भाजपा नाराज है?

locationभोपालPublished: Jan 23, 2022 03:31:24 am

Submitted by:

Veejay Chaudhary

ज्योतिरादित्य सिंधिया से क्या भाजपा नाराज है?

Politics

Scindhia V/S KP Yadav

ये हवा सियासत (Politics) की हवा है और ये उमड़-घुमड़कर बारिश, बर्फ और ओले लाती-ले जाती रहती है। इसकी उत्पत्ति और गति के बारे में अच्छे-अच्छे सियासी जानकार भी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाते हैं। ये हवा कब किसके लिए संकटकाल बन जाएगी और कब किसे गद्दीनशीन कर देगी, कोई नहीं जानता। MadhyaPradesh में ऐसी हवाएं चलती रहती है और इसी से तमाम राजनेताओं (Politicians) में धुगधुगी भी बनी रहती है। इस बार हवा शिवपुरी (SHIVPURI) से उठी है और इसका प्रभाव दिल्ली (DELHI) तक पड़ा है। हवा पर सवार हैं गुना-शिवपुरी के सांसद डॉ. केपीएस यादव (KPS YADAV) और निशाने पर हैं केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (JYOTIRADITYA SCINDIA)।
सांसद यादव (KPS YADAV) का नाम राजनीति के गलियारों में सभी जानते हैं और उनकी ख्याति के पीछे मौजूद राजनेता हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया (JYOTIRADITYA SCINDIA)। वर्ष 2019 के चुनाव में केपीएस यादव (KPS YADAV) ने सिंधिया (SCINDIA) को चुनाव में करारी शिकस्त देकर देश-प्रदेश को चौंका दिया था। तब सिंधिया कांग्रेेस (CONGRESS) से गुना-शिवपुरी सीट से प्रत्याशी थे और यादव भाजपा (BJP) से। यादव कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीबी हुआ करते थे और उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाला करते थे। राजनीतिक हक को लेकर सिंधिया से उनकी ठन गई और वे भाजपा में चले गए। एक विधानसभा चुनाव हारे और फिर लोकसभा चुनाव में जीतकर सियासी सम्मान व हक हासिल किया। अब एक बार फिर से वे अपने सियासी हक की लड़ाई लडऩे मैदान में उतरे हैं और इस बार भी उनके सामने सिंधिया (SCINDIA) ही हैं।
https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1484508319842992129?ref_src=twsrc%5Etfw
चूंकि शिवपुरी सिंधिया घराने की राजनीतिक विरासत का गढ़ माना जाता है, वे वहां सिंधिया समर्थकों से परेशान होने लगे हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को बताने के साथ ही लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भी खत लिखा है। बिरला को उन्होंने स्थानीय प्रशासन की शिकायत करते हुए पत्र लिखा है। उनके पत्रों के मजमून से पता चलता है कि वे सिंधिया और उनके समर्थकों से बेहद परेशान हो चुके हैं। जिस जनता ने उन्हें वोट देकर कुर्सी तक पहुंचाया, उसकी निगाह में ही उनका मान सम्मान घट रहा है। ऐसा भी प्रतीत होता है कि उन्हें अब अपना राजनीतिक भविष्य मुश्किल में दिख रहा है। उनकी निगाह 2024 के लोकसभा चुनाव पर हैं। भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बढ़ते दबदबे को देखते हुए उन्हें लगने लगा है कि उनका टिकट कट जाएगा, इसीलिए उन्होंने सीधी लड़ाई छेड़ी है।
मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह लड़ाई अकेले केपीएस यादव लड़ रहे हैं या उनके साथ भाजपा के और भी क्षत्रप हैं। क्या पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र का सबके सामने आना और भाजपा में एक नई बहस छिड़ जाना, सामान्य घटनाचक्र है। संभवत: नहीं। असल में सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आई नेताओं की फौज भाजपा के बुनियादी कार्यकर्ताओं और नेताओं को रास नहीं आ रहा है। सब भीतर-भीतर कुलबुला रहे हैं मगर बोल नहीं पा रहे हैं। केपीएस यादव ने एक राह खोल दी है और इसके बाद भाजपा में पनपे सिंधिया गुट की मुखालफत का धुंआ उठने लगा है।
Historical Picture in Politics , It was a picture which has a significant role in Scindia's defeat in Election
IMAGE CREDIT: Patrika
उधर, केपीएस यादव के रुख के बाद सिंधिया समर्थक भी सियासी लड़ाई के लिए तैयार हैं। समर्थकों ने सांसद यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (SHIVRAJ SINGH CHAUHAN) और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा (VD SHARMA) को पत्र लिखा है, जिसमें खुद का झूठ और बेवजह का रोना रोकर पार्टी की छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए सांसद को प्रदेश प्रवक्ता पद से हटाए जाने की मांग की है। सिंधिया के साथ भाजपा में आए रामकुमार दांगी कांग्रेस में आइटी सेल प्रभारी रहे हैं। इन्होंने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताते हुए पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि गुना-शिवपुरी सांसद केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश शासन के कुछ मंत्री सहित भाजपा (BJP) नेताओं पर अनर्गल आरोप लगाए हैं, जो निराधार व गलत हैं। जबकि सच्चाई यह है कि यादव ने क्षेत्र के विकास में आज तक कोई भी कार्य नहीं कराया है। जनसमुदाय उनसे नाराज है।
SHIVRAJ AND SCINDIA
IMAGE CREDIT: patrika
ग्वालियर में बन गए खेमे
ग्वालियर में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और एक समय सिंधिया के विरोधी रहे नेताओं ने खेमे बना लिए हंै। हालांकि केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने समर्थक कार्यकर्ताओं को भाजपा में पद दिला दिया है, लेकिन ये कार्यकर्ता पार्टी की रीति-नीति में घुलने-मिलने से ज्यादा सिंधिया के करीब नजर आ रहे हैं। निगम-मंडलों में सिंधिया की चलने से भी वरिष्ठ भाजपा नेता नाराज दिखते हैं, क्योंकि वे खुद पद पाने की होड़ में थे, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है।
अशोकनगर में अनसुनी से नाराजगी
भाजपा में सिंधिया समर्थकों का दबदबा बढऩे से पुराने भाजपाई कार्यक्रमों से गायब हो गए हैं, उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर आए कार्यकर्ताओं ने ले ली। प्रशासन में सुनवाई न होने से भी नेता नाराज हैं। भाजपा नेता अमरजीत सिंह छाबड़ा की जमीन पर कब्जे और फसल नष्ट करने के मामले को भी जिलेवासी इसी नजर से देख रहे हैं। चर्चा है कि सिंह भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं और सरकार होने के बावजूद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई, इससे नाराज होकर उन्हें धरने पर बैठना पड़ा।
रायसेन में खुलकर सामने आ चुकी कलह
सिंधिया समर्थक मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी और भाजपा से पूर्व मंत्री रहे डॉ.गौरीशंकर शेजवार के समर्थकों में अभी तक मेल नहीं हो पाया है। प्रभुराम अपने साथ कई कांग्रेसियों को भी भाजपा में लाए, उनसे मेल होना तो दूर की बात है। भाजपा में रहते हुए डॉ.शेजवार के विरोधी रहे भाजपाइयों को प्रभुराम के रूप में नया नेता मिल गया। ऐसे पुराने और नए भाजपाइयों का एक गुट तथा शेजवार समर्थक भाजपाइयों का दूसरा गुट सांची विधानसभा में अपनी ढपली-अपना राग की तर्ज पर राजनीति कर रहे हैं। अंतरकलह संगठन स्तर पर आए दिन सामने आती है। एक माह पहले पार्टी के प्रशिक्षण वर्ग में कलह खुलकर सामने आई। इससे पहले जिले के प्रभारी मंत्री बनकर पहली बार रायसेन आए अरविंद भदौरिया के सामने ही दोनों गुट उलझ गए थे।
इंदौर में सिलावट गुट का दबदबा
सिंधिया के सबसे खास समर्थक तुलसीराम सिलावट इंदौर के सांवेर से विधायक हैं और उनका प्रभाव शहर और जिले की भाजपा में बढ़ रहा है। हालांकि, इंदौर में भाजपा के कद्दावर नेता उन्हें साइडलाइन करने की कोशिश करते रहते हैं, मगर सिंधिया व संगठन का विशेष आशीर्वाद उनके काम आ रहा है। प्रमोद टंडन जैसे कई सिंधिया समर्थक भाजपा में चले तो गए हैं मगर वहां फिट नहीं बैठ पा रहे हैं।
Jyotiraditya Scindia at RSS Headquarter Nagpur
IMAGE CREDIT: Social media
सिंधिया ने की है सबको साधने की कोशिश
वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद से कोशिश की है कि वे सबको साध कल चलें। इसके लिए वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर तक गए और संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) से मिले। शिवराज सिंह चौहान (Shivraj) के साथ ही उमा भारती (UmaBharti) , नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) , वीडी शर्मा (VD Sharma), कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijyavargiya) के घरों तक पहुंचे। अपने समर्थकों को भी भाजपा (BJP) की शिक्षा-दीक्षा दिलाने के लिए प्रशिक्षण वर्गों में शामिल हुए। पार्टी में उनका स्थान सम्मानजनक रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विशेष तवज्जो दी। एक तस्वीर में मोदी उनसे बेहद आत्मीयता से मिलते भी दिखे। केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें अच्छा ओहदा मिला। उनके समर्थक प्रदेश में दमदार विभाग के मंत्री बने, संगठन में भी पद मिले और हाल ही में निगम-मंडलों की नियुक्तियों में भी उनके गुट का दबदबा रहा। भाजपा ने अब तक यह दिखाने की भरसक कोशिश की है कि कांग्रेस छोड़कर सिंधिया ने घाटे का सौदा नहीं किया है, मगर अब स्थिति थोड़ी बदल सी रही है।
Narendra Modi and <a  href=
Jyotiraditya Scindia a ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2022/01/23/3_7292693-m.jpg”>
IMAGE CREDIT: Social Media
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो