नीमच-मंदसौर में पाटीदार-पटेल समाज का खास असर दिखता है। यहां डोंडाचूरा बड़ा मुद्दा है, जो किसान आंदोलन और गोलीकांड के बाद सुर्खियों mood of Malwa में आया था। वैसे ये मसला अपने-अपने नजरिए से देखा जाता है, क्योंकि आम आदमी से इसका कोई खास लेना-देना नहीं।
यह क्षेत्र राजस्थान से सटा होने के कारण कामकाज की तलाश में आए लोग आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन उन्हें सियासत से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। प्रभावित तो यहां 24 घंटे समस्याओं से जूझने वाले लोग हैं। उन्हें न खेती लाभ का धंधा लगती है और न ही दूसरे कारोबार राहत देते हैं। मंदसौर गोलीकांड का असर डेढ़ साल बाद भी नजर mood of malwa आता है।
आम आदमी योजनाओं में भ्रष्टाचार से परेशान : जिनकी सेटिंग, उन्हें ही मिलता है मुआवजा…
मुंडली गांव के कन्हैया चिरोड़े कहते हैं कि विकास तो नजर आता है, लेकिन हमारी समस्याओं को हल नहीं हो रहा। खेती का धंधा चौपट होता जा रहा है। कभी बारिश होती है तो कभी सूखा। सरकार की ओर से मुआवजा भी उन्हें मिलता है, जिनकी सेटिंग होती है। पिछले साल मेरी फसल खराब हो गई, लेकिन मुआवजा नहीं मिल पाया।
मुंडली गांव के कन्हैया चिरोड़े कहते हैं कि विकास तो नजर आता है, लेकिन हमारी समस्याओं को हल नहीं हो रहा। खेती का धंधा चौपट होता जा रहा है। कभी बारिश होती है तो कभी सूखा। सरकार की ओर से मुआवजा भी उन्हें मिलता है, जिनकी सेटिंग होती है। पिछले साल मेरी फसल खराब हो गई, लेकिन मुआवजा नहीं मिल पाया।
चुनाव के समय आती नेताओं को हमारी याद…
सुठोद गांव के राधेश्याम पटेल कहते हैं, नेताओं को चुनाव के समय हमारी याद आती है। बाकी समय उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता। हर काम के लिए रुपए मांगे जाते हैं। मैंने सोलर पंप लगवाने आवेदन दिया था, लेकिन अनुदान के लिए बाबू रिश्वत मांगते हैं। अब ऐसे में खेती को कैसे लाभ का धंधा बनाएं।
सुठोद गांव के राधेश्याम पटेल कहते हैं, नेताओं को चुनाव के समय हमारी याद आती है। बाकी समय उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता। हर काम के लिए रुपए मांगे जाते हैं। मैंने सोलर पंप लगवाने आवेदन दिया था, लेकिन अनुदान के लिए बाबू रिश्वत मांगते हैं। अब ऐसे में खेती को कैसे लाभ का धंधा बनाएं।
अब बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है…
हाइवे की दुकान पर मिले चलदू गांव के हरिशंकर पाटीदार बोले, नीमच पिछड़ा इलाका है। खेती-बाड़ी नहीं होती तो हालत खराब हो जाती। यहां रोजगार नहीं है। महंगाई को देखकर बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है। बड़ा बेटा इंदौर में नौकरी करता है, यहां उसके लिए कुछ नहीं। छोटा बेटा भी खेती करने को राजी नहीं है। नौकरी तलाश रहा है।
हाइवे की दुकान पर मिले चलदू गांव के हरिशंकर पाटीदार बोले, नीमच पिछड़ा इलाका है। खेती-बाड़ी नहीं होती तो हालत खराब हो जाती। यहां रोजगार नहीं है। महंगाई को देखकर बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है। बड़ा बेटा इंदौर में नौकरी करता है, यहां उसके लिए कुछ नहीं। छोटा बेटा भी खेती करने को राजी नहीं है। नौकरी तलाश रहा है।
अफसर नहीं करते सुनवाई, गरीब आदमी जैसा था, वैसा ही है… 1. जमुनिया-हिंगोरिया गांव की सड़क पर पान की दुकान पर बतियाते हरीश सोनी बोले, सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन रिश्वत और भ्रष्टाचार को क्यों नहीं रोकती? क्या किसी को मालूम नहीं कि किस तरह से पैसे के लेन-देन के बिना काम नहीं होता।
राशन कार्ड बनवाना हो या दूसरा कोई काम, पैसे दो तो फटाफट हो जाता है। विधायक के पास जाओ तो भी सुनवाई नहीं होती। किसी के खिलाफ शिकायत कर दो तो परेशान होना पड़ता है। इस बात पर पास खड़े घनश्याम धाकड़ बोल पड़े- ऐसा नहीं है। सरकार में अच्छा काम हो रहा है। भावांतर से कितना पैसा दिया है। बस अधिकारी अपने मन की करते हैं।
2. बाटखेडा गांव के राकेश भाऊ हाइवे पर चाय की दुकान चलाते हंै। भाऊ कहते हैं, बहुत चुनाव देखे भैया। गरीब आदमी जैसा था, वैसा ही है और रहेगा। जो कमाते हैं, उसी में चला जाता है, पैसे कैसे बचाएं। नेता वोट मांगने आ जाते हैं, लेकिन फिर नहीं दिखते। हम बरसों से चाय बेच रहे हैं, जबकि चुनाव लडऩे वालों ने इमारतें खड़ी कर लीं। राजस्थान के बासोड़ा से काम करने आए राकेश गलशन को राजनीति से कोई लेना-देना नहीं। बाटखेडा गांव के समीप रहने वाले राकेश न अपने विधायक को जानते हैं, न किसी पार्षद या सरपंच को। वे कहते हैं- हम इन्हें जानकर क्या करेंगे? हमें तो पैसे कमाना है और घर भेज देना है।
इधर, दिल्ली पहुंचा मालवा की सीटों का घमासान…
मध्यप्रदेश कांग्रेस के टिकट बंटवारे को लेकर बड़े नेताओं में सहमति न बनने से उम्मीदवार चयन में लगातार देरी हो रही है। बुधवार को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में 12 अक्टूबर को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने की संभावना जताई गई। उम्मीद है कि 12 को ही उम्मीदवारों की पहली सूची आ सकती है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के मालवा क्षेत्र की सीटों को लेकर ज्यादा जोर आजमाइश चल रही है।
चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया मालवा से ज्यादा सीटों का दावा कर रहे हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह इससे सहमत नहीं हैं। उधर, कई चुनावी रैलियों में सिंधिया द्वारा उम्मीदवारों की सूची आने से पहले ही मंच से कुछ नेताओं की उम्मीदवारी घोषित करने का मामला भी दिल्ली पहुंच गया है।
बताया जा रहा है कि बड़े नेताओं ने इसकी शिकायत हाईकमान से की है। बड़े नेताओं की खींचतान के चलते मध्य प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री सभी से सीधे बातचीत कर तालमेल बैठा रहे हैं।
स्क्रीनिंग कमेटी में अब दिग्विजय सिंह और सिंधिया शामिल…
वहीं कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। अब कमेटी में सात सदस्य हो गए हैं। इससे पहले कमलनाथ और अजय सिंह ही स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य थे।
वहीं कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। अब कमेटी में सात सदस्य हो गए हैं। इससे पहले कमलनाथ और अजय सिंह ही स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य थे।