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रामबाई का निलंबन रणनीति या कमलनाथ पर दबाव की राजनीति, केन्द्रीय मंत्री का भी अहम रोल?

locationभोपालPublished: Jan 02, 2020 12:51:32 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

रामबाई कमलनाथ सरकार में लगातार मंत्रालय की मांग कर रही थीं।

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भोपाल. मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर से बड़ा उलट-फेर हुआ है। बसपा ने पथरिया विधानसभा सीट से विधायक रामबाई को निलंबित कर दिया है। कमलनाथ सरकार पर मंत्रालय का दबाव बना रही रामबाई अब अपनी ही पार्टी से बाहर हो गई हैं। रामबाई को नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन के कारण पार्टी से बाहर किया गया है। रामबाई के निलंबन के बाद कयासों का दौर भी शुरू हो गया है। विधायक रामबाई ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में बसपा विधायक के निलंबन रणनीति का एक हिस्सा है।
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क्या पर्दे के पीछे का खेल
मोदी कैबिनेट के मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह संसदीय सीट से सांसद हैं। पथरिया विधानसभा दमोह लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। रामबाई ने जब सीएए के समर्थन किया तो केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने उनके बयान का समर्थन किया। प्रहलाद पटेल ने कहा- रामबाई बधाई की पात्र हैं। देश की दोनों सदनों ने जिस कानून को पास किया हो और राष्ट्रपति ने जिस पर हस्ताक्षर किए हो देश के हर जागरूक व्यक्ति को उसका समर्थन करना चाहिए। रामबाई ने सीएए का समर्थन किया है इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। जानकारों का कहना है कि पथारिया में रामबाई का आगे राजनीतिक भूमिका क्या होगी इसमें प्रहलाद पटेल बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
क्या बढ़ेगी कमलनाथ की मुश्किलें?
मध्यप्रदेश की कमल नाथ सरकार को अभी एक साल पूरा हुआ है। मध्यप्रदेश में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है बसपा, कांग्रेस का समर्थन कर रही थी। भाजपा के कई बड़े नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। इससे पहले सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों और कांग्रेस के भी कई विधायकों की नाराजगी देखने को मिली है।
क्या दबाव बनाने की रणनीति
कुछ राजनीतिक जानकार इसे दबाव की भी राजनीति बता रहे हैं। जानकारों का कहना है कि रामबाई राजनीतिक तौर पर नादान नहीं हैं। वो अपने बयान के जरिए या तो कमलनाथ पर दवाब बनाने की कोशिश थी या फिर वो भाजपा के साथ कोई विकल्प देख रहीं हैं।
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क्या है राज्य की मौजूदा स्थिति
राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 115 विधायक हैं और भाजपा के 108 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इस तरह कमलनाथ सरकार को 121 विधायकों का समर्थन है। अगर बीजेपी कुछ अन्य विधायकों का समर्थन लेने में सफल हो जाती है तो कमलनाथ सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

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