वहीं, वे आरक्षण और सवर्ण आंदोलन पर खुलकर कुछ नहीं कह सके। कुछ मंत्रियों ने आर्थिक आधार और सभी को समानता की बात जरूर कही। ज्यादातर मंत्री इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे।
ये थे सात सवालये थे सात सवाल
1. क्या सवर्ण आंदोलन को चुनावी चुनौती मानते हैं?
2. मंत्री के रूप में आपका सबसे बड़ा काम?
3. कोई एक ऐसा काम, जो आप मंत्री रहते नहीं कर पाए?
4. क्या आप अपने परिवार को राजनीति में लाने के पक्षधर हैं?
5. राजनीति में भी रिटायरमेंट की उम्र होनी चाहिए?
6. आरक्षण को लेकर आपकी राय क्या है। रहना चाहिए या खत्म होना चाहिए?
7. क्या आप अपने काम से संतुष्ट हैं? खुद को 10 में से कितने नंबर देंगे?
जयभान सिंह पवैया, उच्च शिक्षा मंत्री ने ये दिया जवाब
1. अभी सामाजिक समरसता बनाए रखना चुनौती है।
2. 1993 से लंबित तीन हजार सहायक प्राध्यापकों की भर्ती की। दीक्षांत समारोहों का भारतीयकरण, निजी क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और 55 नए सरकारी कॉलेजों की स्थापना कराई।
3. हर जिला केंद्र पर आवासीय कॉलेजों के निर्माण का संकल्प वित्तीय सीमाओं के कारण पूरा नहीं हुआ।
4. बिल्कुल नहीं। वंशवाद को मैं प्रजातंत्र में कोढ़ की तरह देखता हूं।
5. जब नेता को लगे कि वो शारीरिक और मानसिक रूप से सेवा करने में सक्षम नहीं है तो उसे सम्मानपूर्वक विदा ले लेना चाहिए। इससे पहले कि आने वाली पीढ़ी आपको विदा करे।
6. इसका उत्तर एक पंक्ति में नहीं हो सकता। सबके साथ न्याय हो इस दृष्टि से विश्लेषण होना चाहिए।
7. स्वयं का अंकों में मूल्यांकन ये आत्म स्तुति सी लगती है।