ज्यादातर ने कहा कि नंबर तो जनता और पार्टी ही काम के आधार पर देगी। वहीं, वे आरक्षण और सवर्ण आंदोलन पर खुलकर कुछ नहीं कह सके। कुछ मंत्रियों ने आर्थिक आधार और सभी को समानता की बात जरूर कही। ज्यादातर मंत्री इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे।
ये थे सात सवाल
1. क्या सवर्ण आंदोलन को चुनावी चुनौती मानते हैं?
2. मंत्री के रूप में आपका सबसे बड़ा काम?
3. कोई एक ऐसा काम, जो आप मंत्री रहते नहीं कर पाए?
4. क्या आप अपने परिवार को राजनीति में लाने के पक्षधर हैं?
5. राजनीति में भी रिटायरमेंट की उम्र होनी चाहिए?
6. आरक्षण को लेकर आपकी राय क्या है। रहना चाहिए या खत्म होना चाहिए?
7. क्या आप अपने काम से संतुष्ट हैं? खुद को 10 में से कितने नंबर देंगे?
ये दिया जवाब – ओमप्रकाश धुर्वे, मंत्री, खाद्य
1. मेरे क्षेत्र में 70 फीसदी आदिवासी है। सवर्ण भी अच्छे हैं। सब सहयोग करते हैं। मेरे क्षेत्र में चुनौती नहीं।
2. हर ग्राम पंचायत और टोले-मजरे में पीडीएस की राशन दुकानें खोलीं। स्व-सहायता समूहों को इनकी जिम्मेदारी दी।
3. सस्ते मूल्य की दुकानों पर गरीबों को दाल उपलब्ध कराना चाहते थे, लेकिन आचार संहिता के कारण ये काम पूरा होगा इसकी उम्मीद कम है।
4. मेरी पत्नी भी राजनीति में हैं, लेकिन वो पहले से राजनीति करती रही हैं। लॉन्चिंग नहीं होनी चाहिए।
5. राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र नहीं होती। जब तक शरीर चले काम करना चाहिए।
6. आरक्षण पर बड़े-बड़े लोगों की राय आ गई है, मैं क्या कह सकता हूं।
7. मैं अपने काम से शत-प्रतिशत संतुष्ट हूं। नौ नंबर देता हूं।
इन्ही सवालों पर जयंत मलैया – मंत्री, वित्त ने कहा –
1. कोई असर नहीं है।
2. सिंचाई पांच गुना की। वित्तीय प्रबंधन संभालना बेहद महत्वपूर्ण काम रहा है।
3. जो नहीं कर पाया हूं, ऐसा कोई काम मुझे याद नहीं।
4. ये व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर है कि वो राजनीति में आए या नहीं।
5. राजनीति में रिटायरमेंट भी व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर करता है। वो चाहे तो हो और न चाहे तो रिटायर
न हो।
6. एक ही बात कहूंगा, सबको न्याय मिलना चाहिए।
7. खुद को नंबर मैं नहीं देता। नंबर जनता देगी।