scriptनगर निगम के बंटवारे में सियासत, पीछे छूटा विकास | Politics behind division of BMC, no leader cares for development | Patrika News

नगर निगम के बंटवारे में सियासत, पीछे छूटा विकास

locationभोपालPublished: Oct 15, 2019 10:40:53 am

– शासकीय जमीनों पर बड़ी आबादी का कब्जा- वोट बैंक की राजनीति के चले बढ़ रहा अतिक्रमण- फैलते स्लम और गुमठियों को वोट बैंक बनाने की फिक्र- बाबा नगर से लेकर कई बस्तियों में सैकड़ों नई झुग्गियां

नगर निगम के बंटवारे में सियासत, पीछे छूटा विकास

नगर निगम के बंटवारे में सियासत, पीछे छूटा विकास

भोपाल. प्रदेश की राजधानी झुग्गियों की राजधानी में तब्दील होती जा रही है। विकास में यही सबसे बड़ी बाधा बनती हैं। कुछ दिन पूर्व कोलार क्षेत्र को फिर से नगरपालिका बनाए जाने का प्रस्ताव खारिज होने के बाद भोपाल को दो नगर निगम में बांटने का आदेश कलेक्टर ने जारी दिया। इससे झुग्गी माफिया के हौसले बुलंद हो गए हैं।

 

 

अच्छी लोकेशंस की कीमती शासकीय जमीन पर झुग्गी/गुमठी बनाने के चलते इस अवैध कारोबार से जुड़े से लोग बहुत ताकतवर हैं। सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को पट्टी की जगह मालिकाना हक देने और उस जमीन पर घर बनाने के लिए ढाई लाख रुपए देने की घोषणा के बाद से तो शासकीय जमीन पर अवैध प्लॉट और झुग्गियों का कारोबार करने वालों की चांदी हो गई है। पुरानी बस्तियों से झुग्गियां, प्लॉट और दुकानें बेचने का धंधा बढ़ गया है। इस धंधे से जुड़े सूत्रों की मानें तो बाबा नगर से लेकर इस क्षेत्र में सैकड़ों नई झुग्गियां बन चुकी हैं, करीब 16 हजार नए वोट भी बनवा दिए गए हैं।

दो लाख में झुग्गी, डेढ़ लाख में प्लॉट
शासकीय जमीन के अवैध कारोबारियों ने जगह को देखते हुए अलग-अलग रेट तय कर रखे हैं। नए भोपाल में बनी हुई झुग्गी के रेट दो लाख से लेकर पांच लाख रुपए तक हैं। खाली प्लॉट डेढ़ से दो लाख रुपए तक में मिल जाता है। एक वर्ष पहले झुग्गी बनाने के लिए अच्छे स्थान पर जगह को 80 हजार रुपए में भी दे देते थे। एक झुग्गी की औसत जगह 20 गुणा 20 फीट मानी जाती है, जिसमें दो कमरे का मकान बन जाता है। जब से प्रदेश सरकार ने झुग्गी बनाने के लिए ढाई लाख रुपए देने की घोषणा की है, तब से यह कारोबार और तेज हो गया है।

राजनीति की दिशा होती तय
झुग्गी बस्तियों से प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की दिशा तय होती है। प्रमुख राजनीतिक दल यहां पर अपना वोट बैंक तैयार करने के लिए तत्पर रहते हैं। राजधानी के कई राजनेता तो झुग्गी बस्तियों की राजनीति से ही निकलकर आए हैं। अतिक्रमण हटाने के समय ये सामने आ जाते हैं, जिससे ये अवैध बस्तियां हटाई नहीं जा सकी हैं। प्रदेश के लिए यह चुनौती है कि मंत्रालय जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील जगह के आसपास झुग्गी बस्तियां हटाई नहीं जा सकी हैं।

झुग्गी-बस्तियों का यह आलम पूरे शहर में है। भीम नगर, राजीव नगर, ओम नगर, शिव नगर, पंचशील नगर, अंबेडकर नगर, अन्ना नगर, ईश्वर नगर, दामखेड़ा, अन्ना नगर, बांसखेड़ी, कान्हा कुंज समेत सैकड़ों झुग्गी बस्तियों ने शहर की सरकारी जमीन, पार्क, ग्रीन बेल्ट आदि निगल लिए हैं। पुलिस का भी मानना है कि सबसे अधिक अपराधी ऐसी बस्तियों में होते हैं। अपराध में अव्वल रहने वाले अकेले कोलार थाना क्षेत्र में 22 झुग्गी बस्तियां हैं।

भेल की जमीन पर हजारों झुग्गियां
भेल कारखाने को अस्तित्व में आए 60 साल हो चुके हैं। उसी समय अन्ना नगर में झुग्गियां बननी शुरू हुईं थीं। भेल नगर प्रशासन उस समय सख्त कार्रवाई नहीं कर पाया। स्थानीय नेताओं व यूनियन के नेताओं ने झुग्गी बनाने वालों का संरक्षण देते रहे। इससे छह दशकों में 2500 झुग्गिया बस गईं। अन्ना नगर के पास एक विकास नगर भी बन गया। अब भी भेल नगर प्रशासन झुग्गियों को नहीं हटा पा रहा है।

बीएचईएल टाउनशिप की वर्तमान में करीब 4 हजार 833.21 एकड़ जमीन है। इसमें 150 एकड़ जमीन पर 16 झुग्गी बस्तियां बस चुकी हैं। शुरुआत में अन्ना नगर, विकास नगर सहित अलग-अलग जगहों पर गिनी-चुनी झुग्गियां थीं। लेकिन, स्थानीय नेता झुग्गी व भू-माफियाओं को संरक्षण देते रहे। देखते-देखते ही भेल में झुग्गियों की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में अन्ना नगर और विकास नगर में ही 2500 झुग्गियां हैं।

 

भेल नगर प्रशासन पिछले 50 सालों से झुग्गियों को नहीं हटा पाया। भू-माफियाओं ने 400 से लेकर 600 वर्गफीट के प्लॉट काटे। यही नहीं कई जगहों पर बास की बल्लियों की झुग्गियां बनाकर 15 से 40 हजार रुपए तक में बेची गईं। इसके बाद लोगों ने टीन शेड वाले आवास बना लिए। वर्तमान में भेल की बाउंड्रीवॉल के भीतर खाली पड़ी भेल की जमीन पर भी अतिक्रमण जारी है। भेल नगर प्रशासन ने ऐसी कोई बड़ी अतिक्रमण विरोधी मुहिम नहीं चलाई, जिससे भेल टाउनशिप में अतिक्रमण करने वाले भू-माफियाओं पर अंकुश लग सके।


नहीं हटा पा रहे अतिक्रमण
भेल की खाली पड़ी जमीन में हर माह 50 नई झुग्गियां तन जाती हैं। भेल नगर प्रशासन इनमें से 10 झुग्गियों को ही हटा पाता है। एक बार भी एक सिरे से झुग्गियां हटाने की कार्रवाई नहीं हुई है। उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि विधायक, पार्षद व स्थानीय नेता झुग्गी माफियाओं के साथ खड़े हो जाते हैं और कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठ जाते हैं। इस कारण यह झुग्गियां नहीं हटाई जा पा रही हैं।


नगर निगम अमला झुग्गियों को हटाने/विस्थापित करने की कार्रवाई करता रहता है। इस बारे में जिला प्रशासन के जो भी दिशा-निर्देश होते हैं, उनका पालन किया जाता है।
– हरीश गुप्ता, उपायुक्त, नगर निगम

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