जानकारों की मानें तो इस बार होने जा रहे लोकसभा चुनाव में काफी हद तक मध्यप्रदेश का माहौल 2018 विधानसभा चुनावों जैसा बना हुआ है। पार्टियों में असंतुष्ट जहां जीत में रोड़ा बने हुए हैं, वहीं भितरघात का खतरा भी लगभग साफ दिख रहा है।
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दरअसल इन दिनों लोकसभा चुनाव के लिए टिकटों के बंटवारे के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनों की बगावत से जूझ रही हैं। भाजपा ने 21 प्रत्याशी घोषित किए हैं, इनमें से आधी सीटों पर असंतोष, बगावत और नाराजगी फैली हुई है। वहीं कांग्रेस में भी प्रत्याशियों की घोषणा के बाद से ही कई जगह विरोध जारी है।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा की मानें तो चुनावों में सामान्यत: नाराजगी होती ही है, कभी खुद को तो कभी अपनों को टिकट नहीं दिए जाने से कई लोग नाराज हो ही जाते हैं। लेकिन इस बार काफी खुलकर विरोध सामने आ रहा है।
शर्मा के अनुसार अब मप्र में राजनीति का मिजाज ही बदलता जा रहा है, पहले जहां आपसी समन्वय के द्वारा नाराजों को मना लेना आम बात थी, वहीं इस बार नाराजों को मनाना या शांत करना तो दूर वे अपनी ही पार्टी के विरोध में खुलआम मैदान में उतर आए हैं।
एक और जहां बालाघाट की बात करें तो वहां भाजपा के मौजूदा सांसद बोधसिंह भगत इस बार टिकट न मिलने से वे निर्दलीय ही मैदान में उतर आए हैं।
भगत को बालाघाट में काफी मजबूत माना जाता है, लेकिन इसका कारण भाजपा को भी कहा जा सकता है। ऐसे में इस बार उनका सीधे निर्दलीय के रूप में सामने आना केवल और केवल भाजपा को डेमेज करता दिखता है।
वहीं ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा में ही नाराजगी है, बल्कि खुद कांग्रेस भी इस नाराजगी को अपने से दूर नहीं कर पाई है, जिसके कारण उनके ही प्रत्याशियों का काफी जगह विरोध बना हुआ है। जो सीधे तौर पर कांग्रेस को भी प्रभावित करेगा।
कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल : ऐसी ही बागवत या नाराजगी की स्थिति विधानसभा चुनाव में भी सामने आई थी लेकिन कांग्रेस की ओर से उस समय रूठों को मनाने का जिम्मा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर था, परंतु अब वे स्वयं भोपाल प्रत्याशी हैं। कांग्रेस में फिलहाल किसी अन्य को समन्वय की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ही मोर्चा संभाल रखा है।
भाजपा का डैमेज कंट्रोल : विधानसभा चुनावों में बागवत या नाराजगी का नुकसान भाजपा झेल चुकी है। इसी कारण डैमेज कंट्रोल में विफल प्रदेश भाजपा को केंद्रीय संगठन से फटकार भी खानी पड़ी।
एक बार फिर सामने आ रही उन्हीं परिस्थितियों के बीच एक ओर जहां केंद्रीय संगठन बाकी आठ सीटों पर पूरी सावधानी के साथ नाम तय करने में जुटा हुआ है।
वहीं भाजपा ने डैमेज कंट्रोल के लिए संभागीय संगठन मंत्रियों, संभागीय प्रभारियों और जिला अध्यक्षों को मैदान में उतारा है। प्रदेश स्तर से संगठन महामंत्री सुहास भगत, चुनाव प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह और उनकी टीम काम कर रही है।
जानिये कहां कौन बना खतरा…
बीजेपी: भगत निर्दलीय तो आरडी सपा से आए सामने…
भाजपा को बालाघाट से मौजूदा सांसद बोधसिंह भगत के निर्दलीय मैदान में उतरने और टीकमगढ़ से पूर्व विधायक आरडी प्रजापति के सपा से चुनाव लडऩे के कारण नुकसान होता दिख है।
कांग्रेस: अरुण और राजाराम का विरोध…
कांग्रेस में खंडवा प्रत्याशी अरुण यादव का विरोध निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा कर रहे हैं। शेरा ने निर्दलीय नामांकन का ऐलान किया है।
सतना में राजाराम त्रिपाठी को टिकट देने से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह नाराज हैं। शहडोल में भाजपा छोड़ आई प्रमिला को टिकट मिलने पर कार्यकर्ताओं में असंतोष है।
भाजपा में अंतरर्विरोध व भितरघात का डर…
सीधी प्रत्याशी रीति पाठक, भिंड प्रत्याशी संध्या राय, राजगढ़ प्रत्याशी रोडमल नागर और मंदसौर प्रत्याशी सुधीर गुप्ता को पार्टी के ही नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है।
यहां पार्टी चुनाव तक कोई कड़ी कार्रवाई करने के मूड में नहीं है, लेकिन बड़े पदाधिकारियों ने विरोध करने वालों को चेतावनी जरूर दे दी है।
कांग्रेस में भी असंतोषविधानसभा चुनाव में बेहतर डैमेज कंट्रोल कर सत्ता में आई कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इस मोर्चे पर कमजोर दिख रही है। प्रत्याशियों की घोषणा के बाद से ही कई जगह विरोध जारी है। कांग्रेस में फिलहाल किसी अन्य को समन्वय की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ही मोर्चा संभाल रखा है।
कहीं बहुकोणीय तो कहीं कड़ा मुकाबला: वहीं नाम वापसी के आखिरी दिन शुक्रवार को इन सीटों पर स्थिति साफ हो गई। ये रहेंगे सबसे खास…
शहडोल : यहां 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा की हिमाद्री सिंह और कांग्रेस की प्रमिला सिंह में मुकाबला है। भाजपा में सांसद ज्ञानसिंह की नाराजगी खतरा बन सकती है।
सीधी : यहां 22 प्रत्याशी हैं। मुकाबला कांग्रेस के अजय सिंह और भाजपा की रीति पाठक में है। विधायक केदार शुक्ला और पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा की नाराजगी रीति के लिए चुनौती हैं। मंत्री कमलेश्वर पटेल से खटपट अजय के लिए संकट बन सकती है।
मध्यप्रदेश में मतदान: LokSabha 2019 Election in MP
मध्यप्रदेश में 4 चरणों में मतदान होगा। यहां पहला मतदान चौथे चरण से शुरू होगा।
– चौथा चरण, 29 अप्रैल : जबलपुर,सीधी,छिंदवाड़ा,बालाघाट,मंडला, शहडोल।
– पांचवा चरण, 6 मई : होशंगाबाद,बैतूल,दमोह, खजुराहो,सतना,रीवा,टीकमगढ़।
– छठा चरण, 12 मई : ग्वालियर,भिंड, मुरैना, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़।
– सातवां चरण, 19 मई : देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन, खंडवा।