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पीएससी परीक्षा में आदिवासियों से जुड़े सवाल पर गरमाई सियासत

locationभोपालPublished: Jan 13, 2020 07:54:55 pm

Submitted by:

Arun Tiwari

पीएससी परीक्षा में आदिवासियों के सवाल पर बोले लक्ष्मण सिंह, सदन में खेद जताएं मुख्यमंत्री,कमलनाथ ने किया जांच का ऐलान
 
 

पीएससी परीक्षा में आदिवासियों से जुड़े सवाल पर गरमाई सियासत

पीएससी परीक्षा में आदिवासियों से जुड़े सवाल पर गरमाई सियासत

भोपाल : एमपीएससी की परीक्षा में आदिवासियों से जुड़े सवाल पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा है। लक्ष्मण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसके लिए खेद प्रकट करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भील समाज पर प्रदेश शासन के प्रकाशन पर अशोभनीय टिप्पणी से आहत हूँ। अधिकारी को तो सजा मिलना ही चाहिए,परन्तु मुख्यमंत्री को भी सदन में खेद व्यक्त करना चाहिए, आखिर वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे अच्छा संदेश जाएगा।
मामले पर विवाद होने के बाद सरकार ने इस मामले की जांच का ऐलान कर दिया है। सीएम ने ट्वीट कर कहा कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 12 जनवरी 2020 को आयोजित मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2019 के प्रारंभिक परीक्षा में भील जनजाति के संबंध में पूछे गए प्रश्नों को लेकर मुझे काफ़ी शिकायतें प्राप्त हुई है। इसकी जाँच के आदेश दे दिये गये है। इस निंदनीय कार्य के लिए निश्चित तौर पर दोषियों को दंड मिलना चाहिए, उन पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए ताकि इस तरह की पुनरावृति भविष्य में दोबारा ना हो। मैंने जीवन भर आदिवासी समुदाय , भील जनजाति व इस समुदाय की सभी जनजातियों का बेहद सम्मान किया है , आदर किया है। मैंने इस वर्ग के उत्थान व हित के लिए जीवन पर्यन्त कई कार्य किये हैं। मेरा इस वर्ग से शुरू से जुड़ाव रहा है।मेरी सरकार भी इस वर्ग के उत्थान व भलाई के लिए वचनबद्ध होकर निरंतर कार्य कर रही है।
गृह मंत्री बाला बच्चन ने इंदौर में मीडिया से कहा कि मैं खुद भील जनजाति से आता हंू। ये सवाल आपत्तिजनक है। इस पूरे मामले पर की जांच करा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं कांग्रेस के आदिवासी विधायक कांतिलाल भूरिया और हीरा अलावा ने पीएससी अध्यक्ष और सचिव को बर्खास्त करने की मांग की है।

भाजपा ने भी जताई आपत्ति :
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि भील एक स्वाभिमानी, परिश्रमी और कर्मठ जनजाति है। टंट्या भील जैसे अमर और महान क्रांतिकारी को इसी जनजाति ने जन्म दिया। ये अत्यंत भोले-भाले लोग हैं। हमें गर्व है कि भील जनजाति बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश में निवासरत है। भील जनजाति पर इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करना अत्यंत निंदनीय है। मैं प्रदेश सरकार से मांग करता हूँ कि जिसने भी यह प्रश्नपत्र बनाया है, उसके यह विचार हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, साथ ही साथ यह अंश किसी पुस्तक से लिए गए हैं तो सरकार उस पुस्तक पर भी प्रतिबंध लगाए और लेखक के खिलाफ कार्रवाई करे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि भील समाज को शराबी व अपराधी कहा गया है। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा कि जिस समाज से टंट्या भील जैसे राष्ट्रभक्त हुए हैं जिनका नाम लेकर लोग सम्मान से सर झुकाते हैं। ऐसे समाज को प्रश्न के द्वारा अपमानित किया गया। सरकार के लिए शर्म की बात है
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने ट्वीट कर कहा कि आदिवासियों का देश की आजादी के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये हमारी संस्कृति के रक्षक है। एमपी पीएससी प्रश्नपत्र में भोले भाले भीलों को आपराधिक प्रवृत्ति बताया जाना शर्मनाक और सम्पूर्ण आदिवासी समाज का अपमान है। मुख्यमंत्री कमलनाथ तत्काल दोषियों पर कार्रवाई करें।

एमपी पीएससी की परीक्षा में ये थी आपत्तिजनक टिप्पणी :
पीएससी की परीक्षा रविवार को आयोजित की गई थी। परीक्षा में भील जनजाति के बारे में कहा गया कि ये जनजाति शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही है। भील आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं और धन उपार्जन की आशा में अनैतिक कामों में संलिप्त होते हैं। परीक्षा में शािमल हुए पंधाना के भाजपा विधायक राम दांगोरे ने इस मामले को उठाया और आपत्ति दर्ज की है।

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