दरअसल, पीएम मोदी ने ट्वीट कर केवल गुजरात के लोगों के लिए मुआवजा राशि देने का एलान किया था. फिर क्या था कमलनाथ ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए एक घंटे बाद ही ट्वीट किया ‘मोदी जी, आप देश के प्रधानमंत्री हैं ना कि गुजरात के, आपकी संवेदनाएं सिर्फ गुजरात तक ही सीमित क्यों हैं?’
फिर पीएमओ ने किया ट्वीट इधर, कमल नाथ के ट्वीट के थोड़ी देर बाद ही पीएमओ के तरफ से फिर ट्वीट किया गया. ट्वीट में लिखा हुआ था ‘सभी राज्यों में बारिश और आंधी-तूफान में मारे गए लोगों के परिवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये और जख्मी लोगों को 50 हजार रुपये की मदद किया जाएगा.
लड़ाई में कूदे शिवराज सिंह चौहान पीएमओ के ट्वीट के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सामने आए. उन्होंने लगातार चार ट्वीट कर मुख्यमंत्री कमलनाथ को निशाने पर लिया. शिवराज ने लिखा ‘कमलनाथ जी, प्रधानमंत्री जी ने आँधी-तूफान से प्रभावित लोगों को सहायता राशि देने की मंज़ूरी अविलंब दी है. प्रदेश में कोई भी आपदा आती है तो नागरिकों की सहायता करने का पहला कर्तव्य मुख्यमंत्री का होता है लेकिन मध्यप्रदेश में जिस ढंग से आपकी सरकार चल रही है, यह तो जग-ज़ाहिर है.’
एक और ट्वीट कर भाजपा नेता ने लिखा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो ऐसी स्थिति में शासन-प्रशासन को चैन की नींद नहीं लेने देता था, तुरंत जनता के बीच जाकर नागरिकों की समस्याएं सुनता था और उनके निराकरण में लग जाता था. लेकिन आपको तो तबादले करने से फुरसत ही कहां जो आप आम जनता से जुड़े विषयों पर विचार करें!
अन्य ट्वीट में शिवराज ने लिखा कि सिर्फ ट्वीट कर देने से आपका कर्तव्य पूरा नहीं होगा. आला अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि वे तत्काल मदद हेतु केंद्र से आग्रह करें. आप किसान हितैषी होते तो किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों की सूची भेजते लेकिन भाजपा को राजनीतिक लाभ न मिले, ऐसा सोचकर आपने वह सूची नहीं भेजी!
अंत में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि आपको यह याद दिलाना ज़रूरी होगा कि आप भी पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं न कि सिर्फ छिन्दवाड़ा के! चारों तरफ त्राहि-त्राहि मची है और आपका ध्यान केवल अपने बेटे के चुनाव पर केन्द्रित है! विनती है कि जनता ने आप पर जो विश्वास जताया है, कम से कम उसकी लाज रखें,अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं !
टारगेट पर ‘कमल’ आंधी-तूफान की सियासत में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के निशाने पर ‘कमल’ ही था. क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राहत के नाम पर पीएम मोदी के बहाने भाजपा को निशाने पर ले रहे थे तो प्रदेश बीजेपी के नेता कमलनाथ को. क्योंकि दोनों को पता था कि चुनावी समर में दोनों ही पार्टिया ‘कमल’ के सहारे ही चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में ‘कमल’ को टारगेट कर खुद को जनता का रहनुमा बताना होगा तब ही प्रदेश में ‘कमल’ खिल सकता है.