भोपाल

मेमोरी कम कर रही प्रदूषित हवा, खोखला हो रहा शरीर

– वायु प्रदूषण से हर साल हो रही 70 लाख लोगों की मौत

भोपालJan 22, 2020 / 10:58 pm

anil chaudhary

reducing memory

अनिल चौधरी, भोपाल. बढ़ते उद्योगों, वाहनों और प्लास्टिकयुक्त सामग्री को जलाने से वायु इस हद तक प्रदूषित हो गई कि हर साल 70 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो जाती है। अब तो वायु प्रदूषण का असर हमारी याददाश्त पर भी पडऩे लगा है और हमें चीजों को याद रखने में परेशानी होने लगी है। इसका सबसे ज्यादा असर भारत में पडऩे की आशंका बनी हुई है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण तत्वों में से वायु भी शुमार है। बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर उद्योग स्थापित किए गए। परिवहन के लिए मोटर गाड़ी बाजार में आई। हवा में उडऩे के लिए एयरोप्लेन और हेलीकॉप्टर का उपयोग होने लगा। फोन/मोबाइल का आविष्कार हुआ। ये सभी खतरनाक साबित हो रहे हैं।

– ऐसे किया अध्ययन
हाल ही में वार्विक विश्वविद्यालय द्वारा इंग्लैंड के प्रदूषित और गैर प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले करीब 34 हजार लोगों पर एक शोध किया गया। अध्ययन में शामिल सभी लोगों को शब्द याद रखने की परीक्षा से गुजरना पड़ा। इस परीक्षा में सभी को 10 शब्द याद रखने के लिए दिए गए। साथ ही याददाश्त पर प्रभाव डालने वाले अन्य घटकों जैसे आयु, स्वास्थ्य, शिक्षा का स्तर, जातीयता, परिवार और रोजगार आदि की स्थिति का भी ध्यान रखा गया। अध्ययन में सामने आया कि हवा/वायु में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पीएम10 का बढ़ता स्तर याददाश्त कमजोर कर रहे हैं। कम प्रदूषित वायु में रहने वाले व्यक्ति की अपेक्षा अधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले की याददाश्त में करीब दस साल का अंतर पाया गया। यानी प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले 30 साल के व्यक्ति की याददाश्त कम प्रदूषण में रहने वाले 40 साल के व्यक्ति के बराबर पाई गई।

– डब्ल्यूएचओ ने भी जताई चिंता
वैज्ञानिक पहलू यह है कि वायु प्रदूषण धीमे जहर की तरह है। जो न चाहते हुए भी हमारे भीतर जाता है और शरीर को खोखला कर देता है। इसका अहसास हमें तब होता है, जब स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वायु प्रदूषण के इस दुष्प्रभाव से दुनिया को आगाह किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की करीब 91 प्रतिशत आबादी वायु प्रदूषण से प्रभावित इलाकों में रहती है। दुनियाभर में होने वाले 24 प्रतिशत स्ट्रोक और 25 प्रतिशत हृदय संबंधी बीमारियों का कारण भी वायु प्रदूषण ही है, लेकिन इन सब के बावजूद हम आज भी अपने स्वास्थ्य और भविष्य के प्रति संजीदा नहीं हैं। इसके परिणाम अभी से दिखने लगे हैं, जो भविष्य में और भयावह हो सकते हैं, इसलिए अपने भविष्य को सुरक्षित रखने और स्वस्थ रहने के लिए हमें वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग लडऩी होगी। अपने अपने स्तर पर हानिकारक वस्तुओं का त्याग करना होगा।

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