निरीक्षण में पता चला कि एक फैक्ट्री में कचरे से बीनकर लाई गई पॉलीथिन खरीदने के साथ ही यहीं वहीं पर लगाए गए कारखाने में उसे रि-साइकिल करने के लिए गलाने और जलाने का काम भी किया जा रहा है। जिससे निकलने वाीे धुंए से लोग लोग बीमार हो रहे हैं। पीडि़त रहवासी इस मामेले को लेकर शासन-प्रशासन सहित जिम्मेदारों तक को इसकी शिकायत कर चुके हैं, इसके बाद भी मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया।
गौरतलब है कि दिल्ली में पराली के धुंए से होने वाले प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। देश में स्वच्छता को लेकर सभी जिले दावे कर रहे हैं। राजधानी में भी कुछ हिस्से ऐसे हैं, यहां जहरीले धुंए के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। कबाडख़ाने में पानी, धूल और धुंए के कारण ज्यादातर आबादी इसकी चपेट में है।
स्वच्छता को लेकर यहां के हालात सबसे अधिक खराब हंै। यहां रात में होने वाले वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेना तक मुश्किल होता है। फिर भी शासन-प्रशासन व प्रदूषण नियत्रण बोर्ड यहां कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। एक प्लास्टिक से दाना बनाने वाली फैक्ट्री भी यहां चल रही है।
यहां फैल रही बीमारियां
रबर प्लास्टिक आदि के जलाने पर डाययोक्शन, सल्फर डायआक्साइड, नाइट्रोजन डायऑक्साइड, मोनो ऑक्साइड, मरकरी, आरसेनिक, फुरांस आदि उत्सर्जित होता है। इससे फेंफड़ों का कैंसर, अस्थमा, त्वचा रोग, श्वसन तंत्र के रोग, ऑखो में जलन आदि की समस्या होती है। इससे मिट्टी, जल और वायु आदि तीनों तरह का प्रदूषण फैल रहा है।
मेरा बेटे को टायफाइड हो गया था। उसे अस्पताल से छुट्टी भी नहीं मिली की दूसरे बेटे को भी टायफाइड हो गया। मेरे घर के सामने ही फैक्ट्री है, जिसमें आधी रात को पन्नी जलाने का काम होता है। क्षेत्र में फैल रहे धुंए से लोगों को श्वास की बीमारी हो रही है।
मो. आमीर, रहवासी व पीडि़त
डस्ट को लेकर शिकायतें तो मिलती है, पर रहवासी क्षेत्र में पॉलीथिन जलाकर दाने बनाने का काम चल रहा है तो इसकी जल्द ही जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी, ताकि लोगों को हो रही परेशानी से निजात मिल सके।
एए मिश्रा, रीजनल ऑफिसर, एमपीपीसीबी