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भोपाल

लगातार बारिश में छलनी हुआ फोरलेन, राजस्थान से जोड़ने वाले फोरलेन में जगह जगह गड्ढे

सितंबर में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने किया था वर्चुअल लोकार्पण, एनएचएआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1087 करोड़ है रोड की लागत, 106 किमी लंबा है फोरलेन, 2 टोल प्लॉजा लगे हैं। 01 साल में ही उखड़ गया, 2012 के बाद एक के बाद 4 कंपनियां काम छोड़ गई।

भोपालOct 08, 2021 / 03:22 pm

Hitendra Sharma

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राजीव जैन
भोपाल. प्रदेश में मानसून की बारिश ने सडक़ों की गुणवत्ता खोलकर रख दी है। राजधानी को राजस्थान से जोडऩे वाले प्रमुख जयपुर- जबलपुर नेशनल हाइवे के भोपाल-ब्यावरा फोरलेन की हालत सालभर में ही गांव की पगडंडियों सी हो गई। यहां गड्ढों में रोज बाइक सवार गिर रहे हैं और चार पहिया चालकों को भी खासी परेशानी हो रही है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 16 सितंबर को इसका वुर्चअल लोकार्पण किया।

हालात ये है 1087 करोड़ के इस फोरलेन को जनवरी 2020 में हैंडओवर किया। भोपाल से कुरावर के बीच पुराने रोड पर ही फोरलेन को हैंडओव्हर किया है। कुछ हिस्सों में डामर और सीसी का लेप लगाकर इतिश्री कर ली गई। वहीं, बाकी के हिस्से में जहां डामर वाला रोड बना वहां भी उखड़ गया। यह रोड दो हिस्सों में बना है, जिसमें से भोपाल लालघाटी से मुबारकपुर जंक्शन तक 8.28 किमी तक सिक्स लेन है। इस हिस्से में भी एयरपोर्ट के पास वाले चौराहे पर बन रहा ओवरब्रिज निर्माण के दौरान दरक गया, जिसे तत्कालीन कलेक्टर तरुण पिथौड़ ने दोबारा बनवाया। मुबारकपुर जंक्शन से ब्यावरा तक का बचा हुआ हिस्सा 97.33 किमी का है, जिस पर फोरलेन बना है लेकिन कहीं से भी यह फोरलेन जैसा नहीं लगता।

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टोल पूरा, सुविधा आधी भी नहीं
वाहन चालकों का कहना है कि भोपाल से ब्यावरा के बीच दो टोल हैं,जिस पर कार को 130 रुपए देने होते हैं। पूरे मार्ग पर कहीं भी फोरलेन जैसी अनुभूति नहीं होती। सड़क बनाने के लिए काटे गए पेड़ भी आज तक नहीं लगाए गए हैं। न सड़क के दोनों ओर पेड़ हैं, न बीच के डिवाइडर पर। संभवतया यह पहला ऐसा फोरलेन होगा, जिसके बीच में कोई पौधे नहीं हैं।

दंपती बाइक सहित गिरे, प्रत्क्षदर्शियों ने पहुंचाया
नरसिंहगढ़-ब्यावरा, कुरावर-नरसिंहगढ़ और इसके आगे हो रहे गड्ढों का शिकार आए दिन वाहन चालक हो रहे हैं। नरसिंहगढ़ के पास हादसे में एक गड्ढे में बाइक सवार दंपती घायल हो गए। उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिन्हें रोड से गुजर रहे अन्य लोग और प्रत्यक्षदर्शियों ने अस्पताल पहुंचाया। इसके अलावा एक अन्य गड्ढ़े में बाइक सवार दो दोस्त गिर गए, उन्हें अंदाजा नहीं था कि इतने बड़े गड्ढे फोरलेन में होंगे, वे शिकार हो गए और हादसे का शिकार हो गए।

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खामियों का एक कारण ये भी
भोपाल-ब्यावरा फोरलेन में सामने आ रही इन खामियों के कई कारण सामने आए हैं। दरअसल, बीते 10 साल से इस प्रोजेक्ट की दशा तय नहीं हो पाई। 2012 से लेकर 2017 तक चार कंपनियों को टेंडर जारी हुए लेकिन फाइनल नहीं हो पाया। 2012 के आखिर में हैदराबाद की टांसट्रॉय कंपनी इसका काम छोडक़र चली गई। तब तक कंपनी भोपाल से श्यामपुर के आस-पास तक का फोरलेन बना चुकी थी। तब से लेकर आज तक इसके नये टेंडर न होकर रिटेंडर ही हुए। 1087 करोड़ की लागत का तीसरा टेंडर 2017 में फाइनल हुआ, जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली की सेंट्रो डॉर स्ट्रॉय (सीडीएस) कंपनी ने लिया।

लेकिन कंपनी की टेंडर शर्तों में पुराने बने हुए रोड को भी इसी में काम लेना शामिल था। ऐसे में रोड का ऐसा हिस्सा जहां पहले से सीसीकरण या रोड बना हुआ है उसे भी काम लेना था, साथ ही जो रोड जैसा जहां से निकल रहा है उसे वहां वैसा ही बनाना था। इसीलिए नरसिंहगढ़, कुरावर, ब्यावरा तक इसमें कहीं रोड ऊपर है तो कहीं नीचे, कहीं-कहीं तो खेतों की बराबरी से रोड निकल रहा है। इसलिए यह रोड कहीं से भी फोरलेन जैसा अनुभव नहीं देता।

थोड़ा नहीं काफी खराब है फोरलेन
एनएचएआई, रीजनल मैनेजर, विवेक जायसवाल ने कहा कि थोड़ा नहीं काफी ज्यादा खराब है भोपाल-ब्यावरा फोरलेन, हमने संबंधित एजेंसी को कहा है, वे दोबारा काम शुरू करेंगे। आपने अवगत कराया है हम तत्काल प्रभाव से काम शुरू कराते हैं। पहले बोलने के बाद एजेंसी ने काम अटैंड किया था, लेकिन यदि बदलाव नहीं हुआ है तो हम दोबारा उन्हें बोलते हैं, समाधान कराएंगे।

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